दिगपाल, मेरे बचपन का साथी था, दोस्त था या यूँ कहे कि वो मेरा मुण्डू(बेबी सिटर) था. दरअसल दिगपाल हमारी मौसी का नौकर था, उसकी उम्र कितनी थी मैं नहीं जानता पर शायद 12 या 14 साल का रहा होगा. पहाड़ी था या नेपाली ये भी मुझे नहीं पता
पूजा, उपासना जो बिना स्वार्थ के किया जाए, बिना किसी फल की इच्छा से किया जाए, जो सच्चे मन से सिर्फ ईश्वर के लिए किया जाए वो पूजा सात्विक है , सात्विक लोग करते है. जो पूजा किसी फल की प्राप्ति के लिए की जाये, अपने शरीर को कष्ट द
ना खुल जाए राज, हमको हमसफ़र बनाया है, छिपाने बेवफाई अपनी यूँ हमसे दिल लगाया है. खूबसूरत है जो वो क्योंकर न बेवफा न होंगे, हो दुनियां दीवानी जिनकी वो ही तो बेवफा होंगे.होते हम भी खूबसूरत तो शायद बेवफा होते, बदसूरती ने ही हमको वफ़ा
ना तो धर्म तुमसे है, ना ही देश और जात तुमसे हैं. सिर्फ किसी देश में या किसी धर्म या जात में जन्म लेने में तुम्हारा अपना क्या योगदान है? तुम्हारी क्या महानता है? मेरे देश में महान लोगों ने जन्म लिया कहने भर से तुम महान नहीं हो जाते. स्वयं श्री कृष्ण
यदि आपको मोबाइल फोन पर हिन्दी लिखने मे दिक्कत हो रही हो तो आप अपने फोन पर इंडिक कीबोर्ड (यहाँ से) या फिर कोई और हिन्दी कीबोर्ड ऐप इन्स्टाल कर सकते हैं। साथ ही नीचे दाहिनी ओर ऑप्शन मे अंग्रेजी सेलेक्ट करने के बाद आसानी से हिन्दी लिख सकते हैं