अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी काव्य को लोकगीत एवं मानव कल्याण के साधन के रूप में स्वीकार करते थे | वह कविता को ईश्वर प्रदत्त अलौकिक वरदान समझकर काव्य रचना करते थे | इसीलिए उनके काव्य में सर्व मंगल का स्वर मुखरित होता है उनके काव्य में पौराणिक एवं आधुनिक समाज में ख्याति प्राप्त लोग नायक नायिकाओं को प्रतिनिधि स्थान प्राप्त हुआ है |
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