shabd-logo

प्रेम

2 अप्रैल 2022

23 बार देखा गया 23
सोचती हूँ मैं इतना
प्रेम की अभिव्यक्ति कितना
कह दूँ मैं बंद पलकों से
रो न दे फिर मेरे नयना।

भीग जाती हूँ मैं अक्सर
स्नेह की बारिश में इतना
चाहकर भी निकल न पाऊँ
प्रेम की अभिव्यक्ति इतना।

रह न जाये मैं का कोई
दरमियाँ है प्रेम इतना
सोचती हूँ मैं इतना
प्रेम की अभिव्यक्ति कितना।

गीत गज़लों में लिखी है
प्रेम में रत है जीवन अपना
बह रही सरिता ह्रदय में
प्रेम अपनत्व का है गहना।

30
रचनाएँ
प्रेम
5.0
मैं प्रेम में हूँ या मुझमें ही प्रेम है क्या तुम बता सकते हो किसमे प्रेम है चारो तरफ प्रेम मय जगत के मैं तन्मयता से तन्मय हूँ हाँ प्रेम मेरे भीतर ही बहता है इतर उतर पता नही किधर मगर कुछ तो है मेरे भीतर पिघलता है जमता है फिर बह जाता ममत्वय से कुछ पाने कुछ खोने की राह पर हाँ प्रेम ही तो है जो दिखता नही महसूस होता है ह्रदय की धमनियों में रक्त के उबाल सा थिरकता है मन के भीतर यही तो प्रेम है मैं समझ नही पाती मैं प्रेम में हूँ या मुझमें ही प्रेम।
1

प्रेम

2 अप्रैल 2022
3
2
0

सोचती हूँ मैं इतनाप्रेम की अभिव्यक्ति कितनाकह दूँ मैं बंद पलकों सेरो न दे फिर मेरे नयना।भीग जाती हूँ मैं अक्सरस्नेह की बारिश में इतनाचाहकर भी निकल न पाऊँप्रेम की अभिव्यक्ति इतना।रह न जाये मैं का कोईदर

2

प्रेम

3 अप्रैल 2022
1
1
0

मूक ही थी प्रेम की भाषामैं परिभाषित भी कैसे करूँजो बात शब्द नही कह पातेवो मौन हैं कह जाते।जब विचारों में घुमड़ते हैं बादलवो बरस हैं जातेजैसे मेघों की चहलकदमी सेकुछ बूंद बरस हैं जाते।प्रेम की रंगत चढ़ी ह

3

उदासी का रंग

4 अप्रैल 2022
0
0
0

अरे ! ये क्या हुआ?इंद्रधनुष का रंग आजमटमैला सा क्यूँ है?क्या प्रेम का चटक लालअब घूसर रंग का हो गया है?इस पर उदासियों का सबब छाया हैअरे क्यूँ चले आते हो छलने?प्रेम की पीत रंग मेंबेरुखी के रंग भरनेमैने

4

सत्य क्या

5 अप्रैल 2022
1
0
0

प्रेम भी किया तो असत्य सेक्या असत्य से प्रेम करनाकभी सत्य हुआ है ?चेहरा भी देखो असत्य से भराक्या कभी असत्य चेहरा सत्य हो सकता है?मेरा प्रेम तो सत्य थाबिल्कुल मीरा की तरहमैने विषपान किया प्रेम काप्रेम

5

प्रेम जिंदा है

6 अप्रैल 2022
0
0
0

प्रेम उम्र का मोहताज नहीमैने कई सदिया गुजारी हैप्रेम तो शाश्वत है जो जिंदा हैमेरे और तुम्हारे भीतर।मैने जिंदगी की हर नज्मलिख दी तुम्हारे खातिरमेरी अनुभूति मेरे अहसासकभी दो शब्द तुम पढ़ लेना।मेरी नज्मों

6

रूह

7 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरी आँखों में जो दो बूंद पानी हैहाँ यही तो इश्क की निशानी है।मुझे मिला तो कहा था मिलूँगा तुमसेमैने कहा मैं बिछड़ी ही कहाँ हूँ तुमसे ?मैं तेरी रूह में बसी हूँ सदा के लियेतेरी मेरी रूह तो सदा साथ साथ चल

7

समीक्षा

8 अप्रैल 2022
0
0
0

तुम्हारे बिन मैं बिल्कुल अधूरी सीमेरी हर नीति हर शिक्षा तुम्हारे बिन अधूरी सीमेरी जिंदगी मेरी पूर्णतासब कुछ अधूरी सीतुम मुझे जो मिल जाओइश्क के समंदर मेंमेरी जीवन की हर दीक्षाहो जाये पूरी सी

8

मधुमास

9 अप्रैल 2022
1
0
0

है पतझर ये प्रेम देखो आता जिसमें मधुमास नहीहै गीत विरह का गुँजनगाता जिसमें मधुमास नही।हैं बिछड़ जन प्रेमी जिसमेंबजते हैं स्वर विरह काटूटा है पत्ता डाली सेगाता जिसमें मधुमास नही।रूठी रूठी दुन

9

स्वर

9 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरे गीत के स्वर भी तुम हो मेरे गीत की लय तुम होमेरे मौन और मेरी भी आवाज तुम होमेरी कल्पना के रंग भी तुम हीमेरे ख्वाब और हकीकत के पर भी तुम होमेरी ये धरा और सृष्टि भी तुम होतुम्हारे बिना हू

10

तलाश

10 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरी भटकन ही खुशी है मेरीमैं खुश हूँ मुझे चैन नसीब नही।सुकून है तुम्हारी यादों के चिराग जलते हैंवरना लम्हा भी नही गुजरता तन्हा।रात है की रुकती नही अब तोचाँद से मिलने के बेताबी में।कर सकूँ जिक्र

11

इश्क का फरमान

15 अप्रैल 2022
1
1
1

बट रही थी पर्ची इश्क कीएक पर्ची उसने भी उठायीकिसी ने कहा सुनोकिसी ने कहा कहोहाथ लगी पर्ची जो इश्क की उसकोउसमें सुनना ही लिखा थानियति कहे या किस्मतसुनना लिखा हर बारइश्क का फरमानकभी कहना नही रहाको

12

सखी अलि बार - बार क्यों आता...

15 अप्रैल 2022
0
0
0

सखी अलि बार बार क्यों आता ?ये गुन गुन कर गाताधीमे - धीमे स्वर मेंजाने क्या कह जाता ?आने से मधुबन में अलि केरंग खुशियों का छा जातासखी अलि बार - बार क्यों आता ?पुष्पों पर है मंडरातासार

13

वजह

15 अप्रैल 2022
0
0
0

बड़ी मासूम सी ख्वाहिश है जिंदगी तुझसेजब भी मिलना तुम गले मुझसेबस मेरी उदासियों का सबब ही मत सुननामेरी खुशियों की वजह भी सुननामैने हर बार इंसाफ के तराजू में तौला है खुद कोमैने हर बार हार कर भी जीता है ख

14

प्रेम की तपिश

16 अप्रैल 2022
0
0
0

मैने रिश्तों की दुनिया है पिरो डालीफिर भी है मेरा घर खालीतमाशबीन हैं शहर के लोगअब तो लगता है शहर खालीहम भी किसका इंतजार करेंअब हम किस पर एतबार करेंमेरे घर में दीप जलते हैं खालीमेरे लिये बची है य

15

मिले हैं हम

16 अप्रैल 2022
0
0
0

कहीं गुजरे हैं शहर में हमकहीं लगता है पहले भी मिले है हमसात रंगों की चादर ओढ़कर खड़ी हो तुमराह में लगता है मिले हैं हममिरी और तिरी बीच फासला थाफलक चंद कदमों का,मगरलगता है फिर भी मिले है हम।

16

इश्क

16 अप्रैल 2022
0
0
0

इश्क की पाकीजगी सेइश्क की बन्दगी तक का सफरमेरी नगमों मेरी गजलों मेंमेरे अल्फाजों में बस इश्क रहामैं तुम्हें हारकर भी जीतती रहीक्योंकि मेरी रूह में बस तू रहाअंधेरों की गुप्तगू से उजालों की रोशनी त

17

ये शाम

17 अप्रैल 2022
0
0
0

जाने क्यों तेरे बगैर शाम उदास है आजकल ?मिलता नही है चाँद भी लगता है आजकल।खामोशी ही रहती है तन्हाई भी अक्सरदिखता नही है पर लगता है, धुँआ का असर।धुंधली सी तस्वीर दिखाई तो दे रहीबादल की धुंध का पड़ रहा अस

18

आदत

21 अप्रैल 2022
1
1
1

मेरी आदत में शुमार है वो हर पलजहाँ हम कदम मिलकर चलेकभी दो पल आगे तो कभी हम साथ चलेअभी भी लगता है ऐसे तुम मेरे साथ होउम्मीद के बादल है उम्मीद के साथ चलेचलना आदत में है मेरीइंतजार भी तुम्हारा है मुझकोजै

19

जब जब प्रेम सरल है होता

21 अप्रैल 2022
1
0
0

जब जब प्रेम सरल है होतामिट जाती है सारी रेखादर्द तपस्या न रुसवाईमिट जाती है सारी खाईजब जब प्रेम सरल है होतारूह से रूह जब मिल जाती हैआँखों से सब धूल जाती हैगिरह गाँठ की खुल जातीजब जब प्रेम

20

उपासक नही हूँ मैं

21 अप्रैल 2022
1
1
1

मैं मीरा की तरह तुम्हें आराध्य नही बना सकतीक्योंकि मैं उपासक नही कृष्ण।मैं रुक्मिणी नही हूँ कृष्ण मैं तुम्हें शरीर से चाहूँमैं तुम्हें सिर्फ आत्मा से चाहती हूँ मुझे सिर्फ राधा बनना है ,

21

मुझे प्रेम था हिम से

24 अप्रैल 2022
1
1
1

मुझे प्रेम था हिम सेमैने उसे कैद नही किया मुठ्ठियों मेंमैं जानती हूँ हिम को कैद करना मुश्किल हैकब तरल होकर फिसल जाए मुठ्ठी सेसच तो ये प्रेम और हिम एक जैसे ही हैंप्रेम को जिस तरह कैद नही कर सकतेबिल्कुल

22

पहाड़ों का दर्द

24 अप्रैल 2022
3
2
1

पहाड़ों के दर्द किसने देखादेखा तो उसका सौंदर्य देखावो निशा का अंधेरा और धुंधजिसने भी देखा सौंदर्य ही देखावो पसरे सन्नाटों में धड़कते दिललिपटी हुई लगती मौत से रूहवो झरना और नदियाँ वो पर्वतएकांत में

23

माँ

29 अप्रैल 2022
0
0
0

अक्सर ह्रदय पर पत्थर रख लेती हूँक्योंकि माँ हूँ हर दर्द सह लेती हूँबहुत कुछ समेटा है अपने भीतर ही भीतरहाँ ,मैं उसे जब्त कर लेती हूँवह बोला था घर आयेगा एक दिन लौटकरनही आया बस गया कहीं और कहीं औरम

24

परछाईं

29 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरी धुंधली परछाई चलती है अक्सरस्मृति की मधुर पंक्ति सेगिरती उठती और ठहरतीपंख लगाकर वो चलती है स्मृति की जो रेखा हैउसको तो मैने देखा हैआँखों से झरती रहती हैमूक नयन पर सब कहती है‌मृत्यु अभी शेष है

25

जिज्ञासु

29 अप्रैल 2022
1
1
0

कौन क्या कैसे?हर सवाल उठ रहे हैंमन में जिज्ञासा है, और मैं जिज्ञासुमुझे खोज है स्वयं कीमैं बौद्ध सत्य की तलाश मेंमगर मिलता कहाँ है?दुख खुशी ज्ञान कुछ भी तो नही मेरे पासविरक्त होकर विरक्ति नही हो पातीज

26

इश्क लौटकर आयेगा

29 अप्रैल 2022
1
1
0

लम्हों की स्याही से लिखा इश्कगमों का दर्द सिया जज्बातों की कडुवाहट सेटुकड़े टुकड़े हो गए जो ख्वाब बुना रक्त की स्याही सेहाँ वो इश्क का दरिया थामिला समंदर की परछाई सेकभी बहा कभी रुका,मगरसोचा को

27

कुटज

29 अप्रैल 2022
1
1
1

मुझे चाह नही बनूँ गुलाबमुझे चाह नही गुलमोहर बनूँमुझे तो बनना है कुटजजो अकेला निकल आता हैंपर्वतों की चीर करमत कर इतनी अवहेलनामैं मस्त हूँ इन पर्वतों मेंमेरा जज्बा बढ़ाने मेंयही तो मेरे साथी हैऔर मैं इनक

28

धरती अम्बर

29 अप्रैल 2022
2
2
1

कितना मुश्किल है हर कोई हिसाब लिखता हैकोई ऐसा नही जो सच बात लिखता हैझूठ के आईने हैं ,किताब भी झूठ कीसच की परछाइयों में झूठ की बात रखता हैरोज सूरज उतरता है छत पर मेरेरोज चाँद भी आकर उससे मिलता है

29

माया

30 अप्रैल 2022
0
0
0

सरल नही प्रेम को जाननापग में घुंघरू पड़ा बाधनारिक्त था मन भी भरा भी मन थाजिनको भी केवल्य प्राप्त थाभटक रहा केवल प्यासामृग है वन वन में झांकाभीतर नही देखता कोईबाहर भाग रहा हर कोईप्रेम जगत है प्रेम है मा

30

प्रेम की पराकाष्ठा

30 अप्रैल 2022
0
0
0

भटकती हूँ बैचैन रूह सीतुम्हें पाने के वास्तेमुझे मत कैद करोपत्थरों की बूत में तुममुझे आजाद रहना ही भाता हैमुझे आजाद रूह ही तुम रहने दोमेरा परिचय भी बस इतना हैमैं हूँ बस तुम्हारे वास्तेइश्क की गहराइयों

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए