इस पुस्तक “दशा और दिशा” की ज्यादातर रचनाएँ आस - पास के माहौल से ही प्रेरित हैं I कुछ रचनाएं तो केवल भावनाओं की अभिव्य़क्ति हैं और कुछ हिंदी विषयक रचनाएं विचार परक हैं I कहीं - कहीं समस्याओं का चित्रण है, किंतु साथ ही साथ यथा संभव समाधान भी सुझाए गए हैं I कुछ विचार मंथन योग्य रचनाएं है, तो कुछ समाज पर व्यंग हैं I बदलते समाज पर भी प्रतिक्रियाएं हैं, कुछ छोटे व्यंग लघु कथा का रूप लेती नजर आती हैं I “आ अब लौट चलें”, संयुक्त परिवार की तरफ लौटने का एक निमंत्रण है I