नई दिल्लीः गलत फैसलों के कारण पंजाब में संकट में फंसी आम आदमी पार्टी को उबारने के लिए अब केजरीवाल ने खुद कमर कसी है। आठ सिंतबर से चार दिन के लिए पंजाब दौरे का प्रोग्राम लगभग तय हो चुका है। केजरीवाल विद्रोह की आग में झुलस रही पार्टी को बचाने के लिए स्थानीय पंजाबी नेताओं और दिल्ली से भेजी गई टीम की आमने-सामने मीटिंग कराने की तैयारी कर रहे। ताकि पगड़ी बनाम टोपी की लड़ाई खत्म हो सके। केजरीवाल का मानना है कि टीम भावना से काम कर ही पंजाब में कांग्रेस व भाजपा-अकाली दल गठबंधन का खेल खत्म किया जा सकता है।
11 सितंबर तक रहेंगे केजरीवाल
पार्टी नेताओं के मुताबिक केजरीवाल का आठ सिंतबर से शुरू हुआ दौरा 11 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान केजरीवाल पंजाब के हर प्रमुख स्थान पर जाकर पार्टी पदाधिकारियों की मीटिंग लेंगे। पार्टी में पड़ रही फूट और नेताओं के विद्रोह के कारणों की समीक्षा भी होगी। पंजाबी नेताओं के दिलोदिमाग से यह गलतफहमी दूर करने की केजरीवाल कोशिश करेंगे कि उन पर अविश्वास जताया जा रहा। दरअसल दिल्ली से केजरीवाल ने कुल 52 सदस्यीय नेताओं की टीम भेजी है। इसे पंजाबी नेता पचा नहीं पा रहे हैं। स्थानीय नेताओं का मानना है कि केजरीवाल उन पर बाहरी नेताओं को थोपकर उनके अंडर में काम करने के लिए मजबूर कर रहे।
आसान नहीं होगा दौरा, विरोध का करना पड़ेगा सामना
इस बार केजरीवाल बदले माहौल में दौरा करेंगे। उन्हें जगह-जगह विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है। वजह कि पंजाब में पार्टी के कुल चार में से दो सांसद डॉ. धर्मवीर भारती, हरिंदर सिंह खालसा निलंबित हैं। इसके अलावा कथित स्टिंग में फंसने के चलते सुच्चा सिंह छोटेपुर को भी पंजाब संयोजक पद से हटा दिया गया है। इन तीनों नेताओं के नेतृत्व में असंतुष्ट कार्यकर्ताओं की धीरे-धीरे फौज खड़ी हो रही है। ऐसे में केजरीवाल का पंजाब दौरा कठिन होगा। उन्हें न केवल पार्टी से जुड़े रहे लोगों के विरोध का सामना करना पड़ेगा बल्कि अकाली दल, भाजपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा।