छा गए प्यार पे बादल साथी,
बेवफा हो गया पल-पल साथी।
अब खुदा खैर करे रब जाने,
नाखुदा हो गया क़ातिल साथी।
बात हालात से बत्तर निकली,
ज़मीन-ओ आस्मां दल-दल साथी।
पाकर तालीम परिंदे उड़ गए,
हम-तुम तो हैं पागल साथी।
बेकली में कहाँ जाए कोई,
घर,गली,बस्ती है जंगल साथी।
रात-दिन करवटें बदलते हैं,
है बिस्तर भी मखमल साथी।
सिर्फ फूलों को छुआ है मानिए,
उँगलियाँ हो गईं घायल साथी।
ये धन-दौलत किस काम की है,
ना आज बचा ना कल साथी।
सुर-साज सजा कर क्या करना,
जब उजड़ गई महफ़िल साथी।
काँटों पे चले हम राहें सफर,
हांसिल ही नहीं है मज़िल साथी।
सुख-चैन गंवाया दी क़ुरबानी,
बढ़ती ही गई मुशकिल साथी।
थे जिनके सहारे दिल दरिया,
सारे डूब गए साहिल साथी।
वक़्त ने चुन लिया फिर ज़िन्दगी को
है मौत मेरे काबिल साथी।