अरविन्द यादव की कविताएं
(1)
कविता
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कविता नहीं है सिर्फ
साधन मनरंजन का
साधना
एक सृष्टा की
कविता नहीं है
गठजाेड़ सिर्फ शब्दों का
तमीज
भाषा और अभिव्यक्ति की
कविता आईना है
अखिल समाज का
पहचान
सभ्यता, संस्कार की
कविता करती है विरेचित
मलिन भाव मन के
शुद्धता
कलुषित अन्त:करण की
कविता प्रस्फुटित करती है
पत्थरों से भी
उत्स
संवेदनाओं के
कविता सेतु है उस
स्रोतस्विनी का
पुलिन
यथार्थ और आदर्श जिसके
कविता बनाती है
हिंसक वृत्तियाें काे
इंसान
जगाकर उनमें मानवता
कविता नहीं करती भेद
ऊँच-नीच, अकिंचन -राजा
समदृष्टि
पहचान कविता की
कविता जब हुंकारती
आवाज बन निर्बल की
डगमगाते
मठ, महल और सिंहासन
कविता उखाड़ फेंकती
उन दिग्गज दरख्ताें काे
छाया तले
जिनके, नहीं पनपते छाेटे से छाेटे वृक्ष ।
(2)
चाटुकारिता
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चाटुकारिता
एक ऐसी कला
जाे पहुँचा देती है व्यक्ति काे
उन्नति के उतुंग शिखर पर
हरि व्यापक सर्वत्र समाना
के समान
मिल जाते हैं चाटुकार भी
हर जगह आजकल
चाटुकारिता दिलाती है
ऊँचे से ऊँचे ओहदे
धकेलकर उनकाे पीछे
जाे हाेते हैं उस ओहदे के
असली हकदार
चाटुकारिता पहुँचाती है
सत्ता के उस सुख तक
जाे नहीं मिलता उनकाे
जाे करते हैं ताउम्र
कठिन संघर्ष
चाटुकारिता दिला देती है
वह प्रसिद्ध,पुरस्कार और सम्मान
जाे नहीं मिलता बहुतों काे
मरने के बाद भी
चाटुकारिता बना देती है
असंभव काे संभव
निसंदेह वर्तमान की
सबसे बड़ी प्रतिभा
बन गई है चाटुकारिता।
परिचय
अरविन्द यादव
जन्मतिथि- 25/06/1981
शिक्षा- एम.ए. (हिन्दी), नेट , पीएच-डी.
प्रकाशन - समाधान खण्डकाव्य
वागर्थ,पाखी, समहुत, कथाक्रम, छत्तीसगढ़ मित्र,अक्षरा, विभोम स्वर ,सोचविचार, बहुमत, पुरवाई, सेतु ,स्रवंति,समकालीन अभिव्यक्ति, किस्सा कोताह, तीसरा पक्ष, ककसाड़, प्राची, दलित साहित्य वार्षिकी, डिप्रेस्ड एक्सप्रेस, विचार वीथी, लोकतंत्र का दर्द, शब्द सरिता,निभा, मानस चेतना, अभिव्यक्ति, ग्रेस इंडिया टाइम्स, विजय दर्पण टाइम्स आदि पत्र- पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
सम्मान- कन्नौज की अभिव्यंजना साहित्यिक संस्था से सम्मानित
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा सम्मानित
सम्प्रति- असिस्टेंट प्रोफेसर - हिन्दी,
जे.एस. विश्वविद्यालय शिकोहाबाद ( फिरोजाबाद), उ. प्र.।
पता- मोहनपुर, लरखौर, जिला - इटावा (उ.प्र.)
पिन - 206130
मोबा.-9410427215
ईमेल-arvindyadav25681@gmail.com