केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने दावा किया है कि जुलाई 2018 तक गंगा नदी निर्मल हो जाएगी हालाँकि इसका
आधार उन्होंने गंगा में जलीय जन्तुओं की संख्या बताया है | आपकी क्या राय है ???
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने दावा किया है कि जुलाई 2018 तक गंगा नदी निर्मल हो जाएगी हालाँकि इसका
आधार उन्होंने गंगा में जलीय जन्तुओं की संख्या बताया है | आपकी क्या राय है ???
क्या अभी तक रामलला मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई
राममंदिर की तरह अभी तारीख निश्चित नही की गयी है
पहले श्रीराम की झूटी सौगंध खाई अब गंगा मैया की
अगर ताज़ा हालात ऐसे है तो फिर कभी नहीं, मुझे लगता है कि सरकार ने सिर्फ बैंक वोट के लिए मुद्दे पर ज्यादा जोर दिया था और अगर अभी भी ऐसी तस्वीरें देखने को मिल रही है तो फिर आप सोच ही सकते है की क्या हो पाएगी या नहीं |
इतनी जल्दी तो मुश्किल है लेकिन काम इसी तरह से चलता रहा तो शायद हो जाएगी. ..!! और निर्मल होना जरुरी भी है. ..!!
गंगा की सफाई कोई बहुत मुश्किल नहीं है। समस्य यह है कि हमारे नीति निर्धारक, नीतियों को लागू करने वाले अपने अपने कार्य के प्रति गम्भीर नहीं है। संत बलबीर सिंह सींचेवाला ने पंजाब में 160 किमी लंबी मृतप्राय: नदी को फिर से जीवित कर दिया। यदि एक संत बिना संसाधनों के अपने बलबूते पर ऐसा कर सकता है तो कोई कारण नहीं की केंद्र सरकार, राज्य सरकार जिनके पास संपूर्ण संसाधन एवं धन राशि उपलब्ध है, वह गंगा को साफ न कर सके। नीयत की कमी है।
खैर सबसे पहले तो सबको जिसमे आम जनता शामिल हो को प्रण लेना होगा की वह गंगा जी के घाटों पर कोई भी सामान लेकर न जाए और न ही गंगा जी में कुछ भी प्रवाहित किया जाए। दूसरा प्रशासन एवं सरकारों को गम्भीर होकर गंगा जी पर किसी भी प्रकार की सामग्री लेकर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। तीसरा तुंरत बिना देरी किए गंगा जी में गिरने वाले सभी नालों की पहचान कर उन्हें बंद करवाया जाना चाहिए, चौथा गंगा जी अथवा किसी भी नदी के किनारे पर कोई भी उद्योग लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। तब शायद हमारी नदियों का कायाकल्प हो सके।
गंगा में जलीय जंतु निसंदेह जल को निर्मल कर दें लेकिन गन्दी मानसिकता वाले थलीय जंतुओं की संख्या कहीं ज़्यादा है जो इसे निर्मल बनाने में सबसे बड़ी बाधा है।
मलखानसिंह भदौरिया
07 सितम्बर 2016क्या अभी तक रामलला मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई
राममंदिर की तरह अभी तारीख निश्चित नही की गयी है
पहले श्रीराम की झूटी सौगंध खाई अब गंगा मैया की