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Rajesh Bhartiya की डायरी

Rajesh Bhartiya

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rajesh bhartiya ki diary

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पुस्तक के भाग

1

मानवता की कमी क्यों होती जा रही है ?

27 नवम्बर 2017
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आज मनुष्य पैसे की कमाई के चक्कर में अपने आप को और लोगों को भूलता जा रहा है कहां से कहां पहुंच गया मनुष्य ।अक्सर हम लोग देखते हैं आप भी देखते होंगे रोड़ पर एक्सीडेंट हुआ या होते हुए हम लोग इतने व्यस्त होते हैं कि रुक कर देख भी नहीं सकते कि वह कौन है कहां का है कैसे चोट लगी जिंदा है कि मर गया। किसी प्

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मनुष्यता

28 नवम्बर 2017
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प्रत्येक मनुष्य में है मनुष्यता. पर कर रहा उदंडतावो भूल के मनुष्य को.अब कर रहा है क्रूरता।सिर्फ अपने आप को सोचता और समझता ये खुदा ये खुदा क्या यही मनुष्यता । ?

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विचारणीय

30 नवम्बर 2017
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मित्रों आप सब से विनम्र निवेदन है कि आप लोग इस ठंडी के मौसम में अगर कहीं भी यात्रा में निकल रहे हैं तो अपने साथ कुछ गर्म कपड़े रखें जो आप यूज़ नहीं करते उन कपड़ो को आप रास्ते में किसी जरूरतमंद को गिफ्ट करते हुए जाएं या हो सके तो किसी भिखारी भाई लोग को भी दे सकते हैं मैं समझ रहा हूं कि आप लोग इन बातो

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