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रंजीत भट्टाचार्य के बारे में

वरिष्ठ कवि, लेखक, पत्रकार। 40+वर्षों से देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। 3 पुस्तकें प्रकाशित। कविता संग्रह *पांव बने हाथ* वर्ष 1987 । विज्ञान उपन्यास *अबूझमाड़ का अतिथि* वर्ष 1997 । ग़ज़ल संग्रह *दुबला पतला चांद* वर्ष 2009। मोबाइल 75 873 47 882

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रंजीत भट्टाचार्य की पुस्तकें

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में यह एक मिसरा (लाइन ) है जो मेरे एक शे'र का भाग है, शे'र जो मेरी एक ग़ज़ल का अंश है, ग़ज़ल जो मेरी इसी किताब का एक हिस्सा है....ऐसी कई परिकल्पनाएं होंगी इस किताब में। 42 साल के साहित्य सृजन में कोई 10 साल की है मेरे ग़

3 पाठक
18 रचनाएँ

निःशुल्क

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में यह एक मिसरा (लाइन ) है जो मेरे एक शे'र का भाग है, शे'र जो मेरी एक ग़ज़ल का अंश है, ग़ज़ल जो मेरी इसी किताब का एक हिस्सा है....ऐसी कई परिकल्पनाएं होंगी इस किताब में। 42 साल के साहित्य सृजन में कोई 10 साल की है मेरे ग़

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रंजीत भट्टाचार्य के लेख

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 5 )

8 अगस्त 2022
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24 ये मेरी, वो तेरी ज़मींअब तलक कुदरत ने दुनिया में नहीं बेची ज़मींलोग फिर कहते हैं क्यों , ये मेरी-वो तेरी ज़मीं है फ़लक शौहर-सा, नौकर से हैं सूरज और चांद पीठ पर बोझा लिये फिरत

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 5 )

8 अगस्त 2022
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23 ये जीवन की रेल दौड़ रहा है मंज़र पीछे, आगे भागी रेलचांद भी सरपट दौड़ा फिर भी पकड़ न आई रेलउस खिड़की पर पिया के कांधे लगकर सोई थी मैं नई दुल्हन की यादें लेकर बुढि़़या बैठ

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 5 )

8 अगस्त 2022
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22 दरिया है समुंदर ढूंढ़ लेगा अभी है दरबदर घर ढूंढ़ लेगा वो दरिया है समुंदर ढूंढ़ लेगा उसे कश्ती चलाने दो नहीं तो वो तूफा़ं में मुकद्दर ढूंढ़ लेगा तलाशी खत्म होगी

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 5 )

8 अगस्त 2022
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21 चांद देखो हंस रहाआ गया अनजाने ही मैं जानकर आता नहीं गर यही दुनिया है तब तो भूल कर आता नहीं तुम मिले कितने बरस में चांद देखो हंस रहा किसने बोला-वक्त़ फिर से लौट कर आता नहीं&nbsp

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 4 )

6 अगस्त 2022
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20 समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में मेरे ख़्याल, तू भटक रहा है किस जहान में ये सीधी सड़क गई हुई है आसमान में यूं ऊपर लहर को खींच मत, ऐ चांद जोर से समुंदर कहीं उलट न जाये आसमान

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 4 )

6 अगस्त 2022
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19 कोई मुझ को खोज रहा है दुनिया को समझा जितना हूं उतना ही इस में उलझा हूं देर तलक क्यों चुप बैठा हूं शायद ज़्यादा बोल चुका हूं कोई मुझ को खोज रहा है फिर मैं किसको ढ

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 4 )

6 अगस्त 2022
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18 सफी़ना न दूंगा समंदर के हाथों अचानक घिरा मैं मुकद्दर के हाथों मेरा आशियां है बवंडर के हाथों मुझे पी चुके हैं ज़मीं-आसमां सब मैं दरिया चलूं अब समुंदर के हाथों जो बेटों

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में ( भाग 4 )

6 अगस्त 2022
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17 बस तितलियां गिनता रहा अब पूछ मत, जाने के तेरे बाद क्या करता रहा मैं धूप में उड़ती हुई बस तितलियां गिनता रहा अब तक फ़जा को हुबहू है याद वो सरगोशियां इक बार तू जो कह गया, सौ

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में (भाग 4)

6 अगस्त 2022
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16 यूं तमन्नाएं हैं दिल में दर हुए खा़मोश सूनी खिड़कियां रहने लगीं घर में आबादी नहीं वीरानियां रहने लगीं कहकहों को हमने घर में दीं बहुत जगहें मगर छुप

समुंदर कहीं उलट न जाए आसमान में (भाग 3)

4 अगस्त 2022
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14 रेत की तह में दरिया अभी भी रेत की तह में दबा दरिया न रक्खा हो &nb

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