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Ravi Kumar की डायरी

Ravi Kumar

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ravi kumar ki diary

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पुस्तक के भाग

1

दोस्ती

10 सितम्बर 2017
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कांधे पर हाथ रख कर कदम मिलाकर चलते थे जब,,भूल जाते थे सारे दुख समय साथ मे बिताते थे जब,,अब वो हर पल का सुकून कहॉ मिलेगा दूर होकर हमे ,,,,जितना साथ मे रहकर एक दूसरे को सताते थे जब,,याद करता हूँ उन पलो को तो मुस्कान आ जाती है,,,,कभी एक दूसरे के आँसुओ को पोछा करते थे जब,,कांधे पर हाथ रख कर कदम मिलाकर च

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वृक्ष और परिवार

13 सितम्बर 2017
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वृक्ष और परिवार एक जैसे ही है ।।वृक्ष का जीवन पानी से है और परिवार का जीवन प्यार से है।।जिस तरह वृक्ष पानी के बिना सूख जाता है उसी तरह परिवार भी प्यार के बिना सूख जाता है।।जिस परिवार में एक दूसरे से प्यार को ही महत्व दिया जाता है वहाँ गलतफहमियो की जगह नहीं रहती है।।आज के दौर में वृक्ष बिना पानी के स

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धन्यवाद ईश्वर

18 सितम्बर 2017
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हर नए दुःख पर विश्वास और बढ़ जाता मेरा ।कोई तो है जो छिप कर मुझे लड़ना सीखा रहा है।।

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स्वप्न

20 सितम्बर 2017
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मैं भी एक ईमानदार मनुष्य बन गया होता ।। एक दिन जो अमीर बनने का स्वप्न न आया होता ।।

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कमियां

3 अक्टूबर 2017
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दूसरो की कमियां अच्छे से गिनना आता है मुझे। इसलिए आज तक मैं कभी सुधर न सका।।

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