shabd-logo

रवि शंकर के बारे में

मैं विज्ञान संकाय का छात्र हूँ कभी कभी कुछ लिखने का प्रयास करता हूँ जिसमे कुछ त्रुटियाँ भी हो सकती हैं

no-certificate
अभी तक कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है|

रवि शंकर की पुस्तकें

रवि शंकर के लेख

इश्क़ में नीलाम : शायरी

17 जनवरी 2017
3
0

सबकुछ तो लुटा दिया इश्क़ में,साँसों पर भी हक़, अब तो हमारा नही | जी रहे थे जिन यादों के सहारे,क़र्ज़ अदा करना, उनका भी तो मुमकिन नही | रोकर कट जाते थे तन्हाई के पल,आंसू भी आँख से, कमबख्त अब तो छलकता नही | तन्हाई को माशूका बनाएं भी तो कैसे.कमबख्त दिल को इतना भी तो गंवारा नही | हंस-खेलकर गुजर रही थी जि

राष्ट्रवादी सुरक्षा बल : व्यंग्य

17 जनवरी 2017
2
2

आज के भारत को या भारत के लोगों को ध्यान में रखते हुये बहुत जरूरी हो गया है कि भारत सरकार को एक राष्ट्रवादी सुरक्षा बल (Nationalist Security Force) का गठन कर ही देना चाहिये. इसके दो फायदे हैं -पहला कि बढती बेरोजगारी के समय रामबाण सिद्ध होगा, दूसरा कि लोगों मे राष्ट्रीयता ब

रामवृक्ष यादव

4 जून 2016
1
0

 रामवृक्ष यादव: अर्श से फर्श तक ; आखिरकार उत्तर प्रदेश के डी जी पी ने रामवृक्ष यादव को मृत घोषित कर दिया। कौन है ये रामवृक्ष जिसने अचानक से उत्तर प्रदेश के प्रशासन में हड़कम्प मचा दिया। रामवृक्ष यादव जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है।  इतना ही नहीं वह  चुनाव भी लड़ चुका वो अलग बात है कि जनता ने उसे नकार द

भाजपा के दो साल : विकास या जुमलेबाज़ी

28 मई 2016
0
0

कोई सीखे इंतज़ार करने का सलीका इनसे ये " वादे"  ना जाने कबसे बैठे हैं पूरा होने के लिए       -S. Sharmaभाजपा की सरकार बने हुए दो साल पूरे हो गए है. और ये वर्षी एक पर्व की तरह मनाई जा रही है मानो सबकुछ अच्छा, बहुत अच्छा हो गया हो. जैसे देश विकास के एक नए रास्ते पर चल पड़ा हो. जैसे भाजपा ने जुमलेबाजी को

जब मैंने मोमोस बनाये

28 मई 2016
0
0

विदेश में रहकर आपको किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसका एक  जीता जागता  उदाहरण मुझे देखने को मिला .यूँ कहूँ तो ये ऐसी कोई दिक्कत थी नहीं जो कोई मुसीबत पैदा करें. लेकिन कहानी बताने से पहले मैं एक बात साफ़ कर दूँ  कि बाहर  आकर सबसे बड़ी समस्या खाने की  ही होती है . जैसे तैसे करके आप खाने बनने

मैं बेजुबान

20 मई 2016
4
0

देखता हूँ चारों तरफ अपने इक तूफ़ान सा लाचारी का बेबसी का भयावह भूतमय सपनो भरी रातों का एक भयंकर डर सा जकड़ लेता है अंदर तक सहम सा जाता हूँ जब सोचता हूँ मैं बेजुबान दबे पाऊँ घर से निकलना और दबे पाऊँ वापस आना ज़िंदा रह कर भी मरे हुए सा रहना कितना कष्ट झेलना पड़ता है होकर बेजुबान कितना मजे में रहता था हँसत

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए