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रेखा श्रीवास्तव की पुस्तकें

मेरसरकर

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शब्दनगरी एक सेतु !

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लघुकथा ! <span style="font-weight:bold;font-size:13

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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; <br><h2 id=":13i" class="hP" tabindex="-1">लघुकथा !</h2><span id=":13h" class="J-J5-Ji"></span>&nbsp;&nbsp;&nbsp; <p><span style="font-weight:bold;font-size:13

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रेखा श्रीवास्तव के लेख

अपनी पसंद !

14 अक्टूबर 2016
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हम लड़के और लड़कियों के भेद को ख़त्म करने के लिए सतत प्रयास कर रहे है लेकिन आज भी आज की पीढी में ऐसे लोग हैं , जिन्हें सिर्फ और सिर्फ लड़के चाहिए। इसके पीछे उनकी क्या मानसिकता है ? इसको इस घटना से समझा जा सकता है। बात अभी कल की ही है मेरे एक रिश

ठंडा ठंडा - कूल कूल : कितना घातक ?

2 अक्टूबर 2016
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आज की जीवन शैली और जीवन में बढ़ता तनाव - इंसान को परेशान करके रखा है। चाहे ऑफिस वालों , चाहे बिज़नेस वालों या फिर चाहे कॉर्पोरेट जगत में लगे लोग हों। अपनी जगह को , अपनी साख को या फिर अपने परिवार को सुख से रखने के लिए संघर्ष की स्थिति से गुजरने वालों लोगों की संख्या करीब करीब 80 % है। इसमें महिला

तीन चरित्र : आज फिर

28 सितम्बर 2016
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जीवन में लोगों के लिए , ये तीनों महान आत्माएं प्रश्नों के उत्तर लेकर फिर से आयीं हैं। कलयुग में उठ रहे प्रश्नों को लेकर अपने चरित्र पर उछलते कीचड से बचाने को अपने अस्तित्व को खुद आये हैं। ये तीनों राम , सीता और लक्ष्मण हैं। हम बार बार उठाते है प्रश्न ?राम को कायर , विवश और स्वार्थी

इगो : एक मनोरोग !

26 सितम्बर 2016
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एक खबर पढ़ी थी - "पति ने "सॉरी" नहीं कहा तो गर्भवती ने आग लगा ली" पढ़ा और उसकी तस्वीर भी देखी और फिर एक घटना समझ कर बंद कर दिया। आज ही पता चला कि वह मेरे एक करीबी रिश्तेदार की चचेरी बहन थी। जैसा कि समाचार में लिखा गया था वाकई सत्यता वही थी। पति रेलवे में नौकरी करता था और

हिंदी के लिए एक पूरा माह

10 सितम्बर 2016
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सितम्बर माह को हिंदी को समर्पित इसे हिंदी माह , हिंदी पखवारा और हिंदी दिवस के नामों को घोषित किसने किया - हमारी सरकार ने क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी सरकारी स्तर पर उसको उसकी जगह दिला पाने में असमर्थ रही है और रही नहीं है बल्कि आज भी है. तभी अपनी नाकामी पर परदा डालने के लिए हिंदी माह

सावधान हो जाइये !

8 सितम्बर 2016
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सावधान हो जाइये बगैर आपकी जानकारी के और आपके डिटेल्स कहीं से भी प्राप्त करके कोई भी आपके नाम से बैंक में अकाउंट खोल सकता है। मनचाहा पता और मनचाही जगह पर और फिर उसके आधार पर क्रेडिट कार्ड भी ले सकता है और लाखों की खरीदारी भी क

यादें : शिक्षकों की !

5 सितम्बर 2016
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आज शिक्षक दिवस पर मैं अपने सभी शिक्षकों जो मुझे प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक मिले या कार्य स्थल पर मुझे शिक्षित करते रहे सबको नमन करती हूँ और उनमें से कुछ के साथ जुडी यादें भी स्मरण कर रही हूँ। मुझे वो अपने सारे शिक्षक अच्छे

फर्ज बेटे का !

8 अगस्त 2016
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           जीवन में बेटे अपना फर्ज निभाते है और अपने माता-पिता या फिर अपने पालने वाले की देखभाल करते हैं और हमारे सामाजिक मूल्यों के अंतर्गत यही न्यायसंगत माना जाता है. लेकिन बदलते हुए परिवेश और सामाजिक वातावरण में बेटे इस कार्य को न भी करें तो कोई अचरज की बात नहीं समझी जाती है. माता-पिता अगर सक्षम

रिश्तों की परिभाषा !

8 अगस्त 2016
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रिश्ते बनते हैं बिगड़ते हैं और और फिर ख़त्म हो जाते हैं। कहते हैं खून के रिश्ते ऊपर वाला बनाता है वे अमिट होते हैं खून के रंग से गहरे और रगों में बहते हैं। वक़्त ने रिश्तों की परिभाषा बदल दी ,लक्ष्मी ने खून को पानी कर दिया। स्वार्थ ने अपने को पराया कर दिया। बस एक रिश्ता आज भी जिन्दा है उसी तरह वो  रिश

माँ से मायका !

27 जुलाई 2016
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'म ' इस शब्द का कितना गहरा रिश्ता है ?हर इंसान से खासतौर पर हर औरत से। 'म' से 'मैं'''म' से 'मेरी /मेरा ''म' से 'माँ''म' से 'मायका 'एक कहावत है न ,माँ से मायका। .पता नहीं कितना सोचकरकितने अहसासों के बदलेकितने आहत मनों नेइसको गढ़ा होगा।कभी गुजरते हुए  सड़क परजाती हुई बसों परदेखकर 'मायके के शहर /गाँव का

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