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रितिका दीक्षित गौतम की डायरी

रितिका दीक्षित गौतम

4 अध्याय
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ritika dikshit gautam ki dir

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पुस्तक के भाग

1

मैं

27 जून 2018
1
2
0

क्या है, नहीं जो मेरे पास, कुछ तो है, जिसकी मुझे है आस, पा कर सब कुछ भी, क्यों है खाली मेरे हाथ, होते हुये भी सब के, क्यों हूँ, अकेली मैं आज,

2

आस्था

2 अप्रैल 2019
1
1
0

हे ईश्वर , यदि तुम हो,तो कहो कौनसा अपराध ऐसा हुआ? जिसका दंड ऐसा मिला ?तुमने ही कहा था, पत्ता भी न हिलेगा बिन इच्छा के तुम्हारे, अर्थात किया तो ये तुमने ही है, तनिक भी मन विचलित न हुआ तुम्हारा? कहते हो हम सब तुम्हारे बच्चे हैं, फिर किस तरह तुम इतने निर्दयी हुए? हेईश्व

3

भ्रम

8 अगस्त 2022
1
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उमड़ घुमड़ कर मन में..आते हैं कुछ विचार.. कुछ कह जाने का मन करता है, अपनी बातें समझाने का मन करता है.. एक आवाज़ भी अंदर से आती है कि तोड़ो चुप्पी अपनी..  कुछ तो बोलो कुछ तो पूछो.. पर वो नहीं कहती

4

Rakshabandhan

10 अगस्त 2022
0
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#HappyRakshabandhan मस्ती मज़ाक़ से ,ठहाकों से भरा दिन… सारा दिन चहल पहल से भरा दिन… रक्षा बंधन का दिन… चुन चुनकर तुम्हारे लिए राखी ढूँढना  हाथ मेहंदी से सजाना.. फिर प्यार से थाली सजाना…  साथ म

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