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--राखी का सन्देश भाई के नाम---

28 अगस्त 2015

1517 बार देखा गया 1517
featured imageयादों के झरोगे आये नजर के सामने बचपन दर्पण बन सामने आये नजर के सामने रंगबिरंगे धागों से बनी राखी मन ललचाये नजर के सामने सावन की बूंदों संग अंखियाँ आंसुआ बहाए भैया की फोटो के सामने ख़ुशी है ग़म भी है कई भावनाएं भी है नजर के सामने पर हम खुद को बहलायें जाये सबके सामने .. बरसतीं आशीष है निकलती दुवायें हैं जब राखी आती है नजर के सामने यादों की बिजली कौंध जाती एक तस्वीर बना जाती और मन को है तडपाती कहती है भैया रखना बहना को हरदम नजर के सामने दूर देश बैठी भैया की लाडो कहे, भाई रहियो सदा नजर के सामने...

पुष्पा पी. परजिया की अन्य किताबें

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

इस रचना को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार सह धन्यवाद राजेंद्र जी ....

1 अक्टूबर 2015

राजेन्द्र मल्ल

राजेन्द्र मल्ल

खूबसूरती के साथ आपने पिरोया है इस रचना को .

30 सितम्बर 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

इस रचना को पसंद करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद ओम प्रकाश शर्मा जी .

7 सितम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत सुन्दर रचना !

7 सितम्बर 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

हार्दिक आभार रजत जी ,इस कविता को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .

5 सितम्बर 2015

Rajat Vynar

Rajat Vynar

बेहतरीन कविता

4 सितम्बर 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

वर्तिका जी कविता को पसंद करने के लिए और सुन्दर शब्दों से नवाजने के लिए हार्दिक आभार के साथ बहुत बहुत धन्यवाद

31 अगस्त 2015

वर्तिका

वर्तिका

रक्षा-बंधन के भावों को बहुत सुंदरता से अपनी कविता के माध्यम से दर्शाया हैं| बधाई!

31 अगस्त 2015

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--राखी का सन्देश भाई के नाम---

28 अगस्त 2015
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यादों के झरोगे आये नजर के सामने बचपन दर्पण बन सामने आये नजर के सामने रंगबिरंगे धागों से बनी राखी मन ललचाये नजर के सामने सावन की बूंदों संग अंखियाँ आंसुआ बहाए भैया की फोटो के सामने ख़ुशी है ग़म भी है कई भावनाएं भी है नजर के सामने पर हम खुद को बहलायें जाये सबके सामने .. बरसतीं आशीष है

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" कृष्ण जन्माष्टमी और कान्हा "

5 सितम्बर 2015
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मेरे सभी पाठकों को और पुरे भारतवर्ष को जन्माष्टमी की अनेकानेक बधाइयाँ और शुभेक्षाएं ..और दुनिया के सभी देशों में बसे सभी भाई बहनों को भी जन्माष्टमी की अनेकानेक हार्दिक बधाइयाँ ....कृष्ण का नाम आते ही मन में एक छबि बन जाती है एक महान योध्धा की , प्यारे से यशोदाके लाल की, एक सच्चे मित्र

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ओ जाने वाले लौट के आना

9 सितम्बर 2015
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दोस्तों आज पने स्वाभाव से अलग शीर्षक दिया है मैंने इस कहानी का आप चौंकिएगा मत क्यूंकि कहानी इन शब्दों से ही मर्म रखती है सुबह से जब किवाड़ न खुले तब सबने सोचा की आज आंटी जी क्यूँ अब तक सो रहीं हैं , सुबह भोर में जगने वाली आंटी के किवाड़ क्यूँ अब तक बंद हैं ? क्या हुआ होगा कुछ जिज्ञ

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जय श्री गणेश

15 सितम्बर 2015
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गणपति जी विघ्नहर्ता , बुध्धि दाता, दुःख हर्ता सरल सकल मनोरथ पूरण सदैव भक्तों का साथ देने वाले ऐसे भक्तवत्सल भगवान को कोटि कोटि वंदन .श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री

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जय श्री गणेश

17 नवम्बर 2015
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गणपति जी विघ्नहर्ता , बुध्धि दाता, दुःख हर्ता सरल सकल मनोरथ पूरण सदैव भक्तों का साथ देने वाले ऐसे भक्तवत्सल भगवान को कोटि कोटि वंदन .श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री

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pathik

13 अक्टूबर 2019
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Hausale buland rakh aie pathik tu Zamane ki in chingariyon me Kahin jhulas na jana tuNam unhi ke hua karte hain sangemarmar ki deevaron par Jisane apne lahoo k katron ko Chhint kar sajai thi apne armano ki dunia koHatash ho ,nirash ho eisa jazba na rakh kabhiDil me apne.. Jab thaan hi li

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