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संस्मरण माला :

6 सितम्बर 2023

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यात्रा : हाथरस जंक्शन

अच्छा मैं जाऊँ, जरा पूछताछ पर पता कै आय रहों  हूँ कि  ट्रेन को सही समय क्या है ? मेरी प्रिय सहेली के पति जिन्हे हम प्यार से हीरो कहते हैं ने मेरा समान मुझे पकड़ते हुए कहा

नहीं, नहीं आप जाइए मैं मैनेज कर लूँगी .. मैंने कहा

आर तू का  मैनेज करेगी इतनी रात तू वेवकूफ़ है जे  कोई समय है और जे  कोई स्टेशन है यहाँ कब तक बैठी रहेगी, चुप हो जा मैं पूछ कै आय रहों  हूँ |(पूरा ब्रज भाषा का प्रभाव दिखाई देता है  )

अब मुझे तो पता है की बिहार बंगाल से आने वाली ट्रेन अक्सर ही अपने समय से लेट होती ही है पर मैं उनको मना नहीं पाई |

देख ले,अबहूँ  चल पड़ वापिस सवेरे आलीगढ़ ते बैठ लियो ..

नहीं मैं मैनेज कर लूँगी आप चिंता मत करिए |

तू का मैनेज करेगी वो बताय रहे हैं कि कम ते कम ग्यारह बजे ते पहले गाड़ी नाय आन वारी ..

मैंने फिर कहा नहीं हीरो, मैं जाती रहती हूँ तो मुझे आइडिया है| आप चिंता मत करिए आप समय से घर जाइए | मुझे स्टेशन पर छोड़ें में हीरो को काड़ी संकोच हो रहा था मैं तो जिद्दी हूँ ही उनको पता था कि मैंने वापिस नहीं जाना है पर आगे ये होने वाला है इसका कोई अंदाज नहीं था |

दिनांक 16 नवम्बर 2022 दिन वुधवार  मैं हाथरस जंक्शन पर आम्रपाली एक्सप्रेस का इंतजार कर रही थी | ट्रेन का लगातार देरी से आने का अनाउंस हो रहा था | मैं वहां रात्रि के दस बजे पहुँच गई थी| हाथरस जंक्शन जिला हाथरस (उ.प्र.) एकदम  शहर दूर गाँव में गाँव भी रेलवे स्टेशन से  काफी दूर वीरान जगह पर स्थित है|

अब रात्रि का मध्य पहर आरम्भ होने को  था चारों तरफ सभी अपने-अपने सामान को समेट रहे थे | मैं सोच रही थी कि यहाँ से ट्रेन पकड़ने की मेरी सोच ही गलत थी| पर अब क्या हो सकता था अभी तो यहाँ से अलीगढ़ के लिए जाना भी असंभव है | तभी अनाउंस हुआ कि आम्रपाली एक्स्प्रेस अपने समय से छः घण्टे देरी से प्लेट फार्म नम्बर  दो पर आने की सम्भावना है |

मैंने सोचा अभी दस बजे हैं ट्रेन को आने में एक डेड घंटा रहता है थोडा आराम कर लूँ | हल्का बैग जिसमें पानी की बोतल खाने की सामग्री आदि रखी हुई थी उससे खोलने लगी तभी उसकी जिप खराब हो गई | एक तो करेला उपर से नीम चढ़ा ' सर्दियों कि रात ऊपर से यह समस्या | चलिए कोई देखते हैं बियावान सन्नाटा यहाँ केवल रेल के आने-जाने की  आवाज ही सुनाई दे रही थी | टिकट विंडो पर एक सज्जन बैठे हुए थे उन्होंने स्पेशल मुझे आवाज देकर कहा मैडम एक डेढ़ बजे से पहले ट्रेन ने नहीं आना |आप यहीं आराम कर लीजिये |

अब तो यहाँ केवल एक ही कुली बचा है क्या करूँ सोच ही रही थी तब तक कुली ने खुद ही आकर बताया,

मैडम ग्यारह बज चुके हैं मैं भी सोने जा रहा हूँ आप कहो तो उस पार छोड़ आऊँ पुरे दो सौ रूपये ही लूँगा और अभी जाना हो तो ठीक नहीं तो मैं चला |

मरता क्या न करता  वाली स्थिति क्या करूँ ? सामने टिकट विंडो  पर क्या समय उचित होगा ? चोरी, चकोरी , छीना छपटी आदि अब तक तो यही देखा था |

तभी कुली बोल उठा , अरे मैडम अब बाबा जी का राज है आप निश्चिन्त होकर बैठिये वहां |

नांगल से घर जाते हुए अलीगढ़ स्टेशन का शानदार बदला रूप रूप देखा था तो मन में कुछ विश्वास हुआ और मैं कुली के साथ प्लेट फार्म नम्बर दो पर पहुंच गई|   सर्द हवा सांय सांय कर रही थी दूर तक घोर सन्नाटा डर तो लग रहा था पर कोई विकल्प ही न था |ट्रेन लेट और लेट होती जा रही थी , मैंने काली फर वाला ट्रेक सूट पहना हुआ था सर्दी थी तो जूतों में भी गर्म जुराबे थी, फिर भी कंपकंपी थी, कुछ तो सर्दी की कुछ डर की|

थोड़ी देर बाद मैंने अकेले ही चहलकदमी शुरू कर दी ; लगभग एक घण्टे बाद वहां  पर कुछ आर.पी.ऍफ़.के जवान दिखाई दिए तो थोडा साहस हुआ और सैर जैसा कुछ कर रहीं हूँ दिखाने की कोशशि करने लगी | अब पुलिस वालों से भी जितना डर लगता हिदुस्तान में वो भी तो कम नहीं |बाबा जी का राज है इस पर थोडा भरोसा किया हिम्मत दिखाई और चलती रही कभी आगे कभी पीछे |

उनको लगा शायद मैं भी उन्हीं के डिपार्टमेंट से हूँ वो थोडा आगे आये पूछने लगे , मैडम आम्रपाली का इंतजार कर रहीं है?

मैंने कहा हाँ जी |

चार पांच लोग थे आपस कहीं कोई बात की फिर कहा "मैडम बस बीस पच्चीस मिनट में पहुँच जाएगी टूंडला अनाउंस हो चुका है | आप डरियेगा नहीं हम लोग यहीं पर है |

मैंने कहा , जी

वो लोग फिर चले गये |

सचमुच थोड़ी ही देर में आम्रपाली एक्सप्रेस के आने का अनाउंस हो गया |मैं सतर्क थी मेरे पास ए.सी. B2 की रिजर्वेशन तो थी पर रात को यात्री ए.सी. कोच का दरवाजा ही  नहीं खोलते | मुझे बहुत ज्यादा टेंशन हो रही थी, फिर भी निश्चित सांकेतिक स्थान पर खड़ी होकर मैं ट्रेन की ओर देखन लगी|

तभी वो चार जवानआये और बोले टिकट कौन से कोच का है | मैंने उन्हें बताया  जी B2

उन्होंने कहा कि वो तो बहुत आगे आएगा आप गलत बैठी हैं |

सामने से आती हुई ट्रेन दिखाई दे रही थी सही-गल्त कुछ समझ नहीं आ रहा था तब तक उन लोगों ने मेरा सामान उठाया और यह कहते हुए दौड़ने लगे ; जल्दी आओ

और लगभग 800 मीटर की दूरी पर जाकर ट्रेन के ए.सी. कोच आये जहाँ उन्होंने ही कोच खुलवाया  भी |मेरी सांस फूल रही थी लेकिन उन लोगों ही मेरा सामान लेकर मुझे चढ़ाया भी फिर मुझे सीट पर बिठाकर बहुत ही सम्मान के साथ जयहिंद किया और यह कहकर चले गये |

"मैडम आप चिंता न कीजिये आपको कोई परेशानी नहीं होगी सो जाइये निश्चिन्त होकर |

मुझे नहीं मालूम वो शानदार उत्तर प्रदेश के शानदार बेहतरीन जवान कौन थे बस उनका जयहिन्द कहकर सल्यूट याद रहा वो मुझे भी शायद अपने विभाग का ही समझ रहे थे या कुछ और |

याद रहा उनका मानवता भरा व्यवहार

ईश्वर उन जवानों को दीर्घायु दे ताकि यह मानवता निरन्तर बनी रहे |

उनके प्रति मेरे मन सदा सम्मान रहेगा और हाँ पुलिस की छवि भी बदल गई |

मान लिया बाबा जी का राज है

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बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊🙏

28 अक्टूबर 2023

मीनू द्विवेदी वैदेही

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