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सफर जारी है 31-10-2018

2 नवम्बर 2018

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#सफर_जारी_है_31/10/2018 मुसाफिर चल पड़ा है अपने सफ़र पर । वैसे तो अब दीपावली अवकाश चल रहे हैं। परंतु आज पटेल जयंती पर विद्यालय में विशेष कार्यक्रम आयोजित है तो घर से विद्यालय की तरफ प्रस्थान किया है। मौसम बदलाव की तरफ बढ़ रहा है ‌। आजकल सुबह कुछ ठंड रहती है । विद्यालय समय पर पहुंचना है तो पहली बस पकड़ी है। घर से बस स्टैंड तक मोटरसाइकिल पर आने के कारण थोड़ी ठंडक महसूस हो रही है । खिड़की से आ रही हवा इस ठंडक को बढ़ाने लगी तो खिड़की का शीशा बंद कर दिया । बस में बराबर की सीट पर बैठी तीन सवारियों की बातचीत ने ध्यान आकर्षित किया। उन तीनों की बातचीत से ये निर्णय निकला कि तीनों किसी ठेकेदार के यहां मजदूरी करते हैं तथा अभी साईट पर ही जा रहे हैं । एक बोला कि आज सुबह ठेकेदार जी का फोन आया था ।कह रहे थे कि जोधपुर में पांच साईट मिली है । वहां चलना हो तो बताना । वहां रहने खाने की व्यवस्था में कर दूंगा। क्या करना है । दुसरे ने जवाब दिया कि नहीं यार इतनी दूर कौन जाएगा। इसी बातचीत के दौरान उनमें से एक जो अब तक चुप है , बात का रुख बदलते हुए बोला ," रमेश को ठीक फंसाया ठेकेदारी में । पिछले महीने दस हजार का चूना लगा है ‌‌। अब कह रहा है कि इस बार मैं तो आपके साथ काम करूंगा।" " मैंने पहले ही कहा था । इस चक्कर में मत पड़ । मैं सारे काम जानता हूं । बस इस डर से ठेकेदारी नहीं करता। " एक ने जवाब दिया। "बात घाटे की नहीं होती । बात नया काम करने की हिम्मत की होती है । कुछ तो नया सीखा ही होगा । एक बात और यदि ठेकेदार को हमेशा घाटा होने लगे तो कोई ठेकेदारी नहीं करता। शुरुआत में अनजाने में घाटा हो जाता है । बाद में मुनाफा होने लगेगा । मेरे हिसाब से उसे काम नहीं छोड़ना चाहिए। " उनके इस छोटे से वार्तालाप से कितनी बड़ी सीख मिलती है । अवल तो हम नया काम शुरू नहीं करते । यदि करना चाहें तो आसपास वाले करने नहीं देते । डरा देते हैं कि इसमें कोई फायदा नहीं , ये तुम्हारे बस की बात नहीं है या ऐसा करोगे तो बरबाद हो जाओगे ‌ और यदि इन सब बातों को नजरंदाज कर कोई काम कर ही लें और प्रथम चरण में असफलता हाथ आ जाए तो उसे वहीं छोड़ देते हैं । दुबारा काम करने की कोशिश ही नहीं करते । किसी भी काम करने का हमनें ठान लिया तो मेरे हिसाब से असंभव कुछ भी नहीं। एक बार दो बार तीन बार असफल हो सकते हैं लेकिन आखिर सफलता हमारे कदम चूमेगी। .......... कुछ ज्यादा हो गया..... ..... बने रहे साथ । हौसला बढ़ाते रहें । कमियों से अवश्य अवगत कराएं..... आपकी टिप्पणी मुझे और लिखने को प्रेरित करती है । सफर जारी है

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सफर सफर सफर

27 अक्टूबर 2018
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सफर_जारी_है.....सूरतगढ़ से सफर शुरू हो चुका है । बस में ज्यादा भीड़ नहीं है। बस मंथर गति से आगे बढ़ रही है । एक दो सवारियों को छोड़कर सभी अपनी अपनी सीट पर विराजमान। मैं और असलम भाई अपनी बातों में मशगूल हैं। हमारी सीट के बराबर एक महाशय खड़े हैं। कोशिश करने पर उनको बैठने की जगह मिल सकती है लेकिन हमार

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सफर जारी है

28 अक्टूबर 2018
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