मुझसे दोस्ती यूँ लम्बी निभाओगे क्या ,
मैं नादान हूँ बहुत
साथ दूर तक चल पाओगे क्या ।।
कभी चोट जो भी पहुंचे
हौले से सहलाओगे क्या ,
मैं हारता बहुत हूँ
खुद हार कर जीता पाओगे क्या ।।
तन्हाई में जीना पसंद किसे है
बुलाने पर चले आओगे क्या ,
अकेले चलकर थक गया हूँ मैं
कुछ कदम मेरे लिए चल पाओगे क्या ।।
हर शख्श गलती का पुलिन्दा है
गलतियों को यूँ ही भूल जाओगे क्या ,
मैं माफ़ी के काबिल ना रहा कभी
माफ़ कर फिर से अपना बनाओगे क्या ।।
सहम सी जाती है जिंदगी कुछ फैसलों में
कुछ फैसले मेरे ले पाओगे क्या,
सुख में तो सभी रहते हैं खुश
दुःख मेरा भी सह पाओगे क्या ।।
मुस्काते मुखोटे ढक कर हंसा
मेरे रोते दिल को जान पाओगे क्या ,
जो रूठे तुम मैं मना ना सकूँ
जो मैं रूठा तुम मना पाओगे क्या ।।
बातें मीठी सब करते हैं
कडवी जो हो बातें सुन पाओगे क्या,
रो मैं लूँगा संग तेरे जब तू रोया
मेरे बातों पे तुम हंस पाओगे क्या ।।
कुछ तेरी शर्तें मैं निभाऊ
कुछ शर्तें मेरी तुम निभाओगे क्या,
मैं उम्र भर की दोस्ती रखता हूँ
कहो उम्र भर की दोस्ती निभाओगे क्या ।।
® रूप ®