हाँ रचती है मेरे हाथों में मेहँदी तुम्हारे नाम की ,
ये चूड़ी , ये बिंदी , ये सिंदूर भी है तुम्हारे नाम की ,
याद रखना ये समर्पण है मेरा,इसे तुम मेरी जंजीर मत समझना ,
अगर तुम इसे जंजीर समझोगे तो आता है मुझे इस जंजीर को तोड़ फेंकना ा
अलोक सिन्हा
05 मार्च 2019अच्छी रचना है |