काव्य सृजन प्रतियोगिता में "महाकौशल काव्य श्री सम्मान'' प्राप्त मेरी एक रचना ■□■□■□■□■□■ ◆◇○शीर्षक: रिश्ते○◇◆ ■□■□■□■□■□■ जानता हूँ- चाह कर भी
उड़ नहीं सकते। बेवफ़ा हो,वफ़ाई के किरदार-
बन नहीं सकते।। ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★ "रिश्ता" बनाया है बेजोड़ तो
तूं 'तोड़' न देना। प्यार किया, नफ़रत की
चादर ओढ़ न लेना।। ••••••••••••••••••••••••••• रिश्ते जुट हर ओर- सँवर जायें। रिश्ते टूट न कहीं-बिखर जायें।। •••••••••••••••••••••••••••••••• बनाए रिश्ते अहम- बेमिशाल होते हैं
रिश्ते बिकते नहीं, न नीलाम होते हैं।। •••••••••••••••••••••••••••••••••• रिश्तों का है यहाँ पुरजोर आज चलन। रिश्ते बिगड़ के भी
कायम रह जाते हैं।। ••••••••••••••••••••••••••• रिश्ते सड़क पर चलते भी
जुड़ यहाँ जाते हैं। रिश्ते घर की दीवार तोड़
बाहर चले आते हैं।। ••••••••••••••••••••••••••••••••••• रिश्ते परायों से हीं निखर सँवरते हैं। रिश्तों से कई नये रिश्ते निकलते हैं।। ••••••••••••••••••••••••••••• रिश्तों की निंव पर
टिकी है यह दुनिया। रिश्तों की ताकत से
चल रही ये दुनिया।। ••••••••••••••••••••••••••• रिश्तों में जादुगरी- निभाना है बड़िया। रिश्तों से लिखी जाती हैं कहानियां।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° रिश्तों से सज-सँवर जाती है
अपनी ये दुनिया। नजायज रिश्तों की
बेजुवान दुकान बंद हुईं, दोज़ख बना कज़ा
फरमाती रही है दुनिया।। ◆◇◆◇◆◇◆◇◇◆◇◆◇◆◇◆ रिश्तों को पुरजोर निभाना है ज़िंदगी।
रिश्तों से हीं जुटती- सभों की बंदगी।। ●○●○●○●○●○●○●○●○●○●○● खुदगर्जी के कमजोर
रिश्ते टूट जाते है। हजार बहाने बना महज़
तूफ़ान लाते हैं।। ००००००००००००००० कामचलाउ बने नाते-रिश्ते ठहर टिक नहीं पाते हैं खासमखास हीं ताज़िंदगी- बागवान बन काम आते हैं।। 【【【【【【【【【○】】】】】】】】】】】 सच्चे रिश्ते होते हैं पक्के-
इंसान बनते हैंँ। दोस्त अलविदा कहें तो
अश्क झड़ते हैं।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ यह बयां काफी-
चलें रिश्तों के मेले की सैर करें। आदम जात हैं- जानवर नहीं-
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