मां को आमंत्रण
एक सहमी हुई, सिमटी हुई कालों मेंधूल धूसरित लालों मेंखुद कंटकों पर चलती थी।एक ऐसी देवी जो कठिनाइयों का सामना करते हुएउसे गले लगाती रही।घर वाले कुछ भी कहते थेबिना क्रोध किए सुन लेती थी।सत्य की पराकाष्ठा पर सदा अडिग रही,वह मां जो मुझे थपकी देती थीवह मांजो मुझे मार जता कर सुपथ पर लाती रही,वह मांजिसके जा