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कुरुक्षेत्र में एक मेधावी तरुण
अश्व पर आया
महाभारत के प्रथम दिवस का छाया साया
बालक वह भीम- हिडम्बा पुत्र,
धटोत्कच पुत्र था
बरबरिक बालक की परिक्षा लेना पुर्वनिश्चित था
वृक्ष तले खड़े हो कर कृष्ण बालक से बोले
बाण से वृक्ष के पत्ते बींधदो योद्धा हम बोलें
छलिया कृष्ण टूटे पत्ते को पैरों तले दबाया
धनुष टंकार कर- बाण साध वीर चलाया
एक भेदन में बींध दिया वह सारे पत्तों को
कृष्ण बोले पग हटा- छोड़ दिए इस पत्ते को
दृष्टि पड़ी- आश्चर्य, वह पत्ता बिंध गया था
ठगे कृष्ण का प्रश्न-
बालक, मन में क्या था?
बालक बोला, "कमजोर का हीं साथ दूँगा।"
कृष्ण हतप्रद- , कौरवों का साथ यह देगा!
धर्म परास्त- कौरव दल विजित तब होगा
सुदर्शन चक्र चलेगा- बालक सर काटेगा
बालक वीर! अंतिम 'इक्छा'
हो तो मुझे बताओ
मुझे हे! कृष्ण चश्मदीद गवाह
युद्ध का मुझे बनाओ
कृष्ण तथास्तु!
कह सर शिखर पर काट लटकाया
अंततः बालक निर्णायक बन
महाभारत का सत्य बताया
युद्ध शेष-विजय निर्णय का
जटिल प्रश्न आ गहराया
विवाद लख- कृष्ण सभों को
उस सर के निकट ले आया
समस्या समाधान,
सुदर्शन चक्र चला एवं
चलता खप्पर द्रोपदी का मात्र देख पाया
न कोई जीता न कोई हारा सुन-
भीम क्रोधित पोत्र भीम पोत्र के सर को
जोर से लात दे मारा
सर जा कर रिंगस खाटू में
जा गिर पड़ा,
अवतरित हुआ श्याम बाबा प्यारा
कष्ण ने कहा-
तुम्हारा पूजन मेरे नाम से कलियुग में होगा
खाटू के श्याम बाबा का नाम
गूँजायमान् चहुदिशी होगी
🙏🏻🥀🏵️इति बालक सोपान🥀🏵️🙏🏻
शुभमस्तु!
प्रस्तुति एवम् लेखन:
डॉ. कवि कुमार निर्मल ©®