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सोहमकुमार चौहान के बारे में

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सोहमकुमार चौहान की पुस्तकें

सोहमकुमार चौहान के लेख

नेट धीमा है

15 अगस्त 2020
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बर्दाश्त करने की अब आयी यह सीमा हैक्या करूं मैं यार, मेरा नेट धीमा हैयह १.५ जी बी भी अब खत्म होता नहींरात हो गई है, लेकिन कोई सोता नहींगति हूई धीमी, जब छाई घोर घटामिलना हुआ यह बंद, जब बादल ज़ोर से फटामक्सद है तेज़ी, पर आ गई मंदीभैया तेरी यह चाल, लगी है बहुत गंदीबिजली जाए तो यारा, एक तेरा सहारा हैजब

कविता कैसे बनती है?

6 जून 2020
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भाव का मैंने फल एक लायाउसका मैंने रस है निकालारस से मैंने स्याही बनाईउसी से एक कविता लिख डालातुकबंदी का मिर्च मसालाअच्छी तरह से इसे कुटा मेरे भायामहक जो उसका कमाल पायाअंदर तक मैंने उसको है मिलायाकल्पना में जो रंग भरा हैउसी रंग से रंग दे पन्नों कोस्वाद है डाला इसने ऐसाजलन हो जाए मीठे गन्नों कोये सब ल

अल्पविराम

26 अप्रैल 2020
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कभी ऐसा भी वक्त आता है जब रुकता है सब कामबस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविरामजो अब बंद है, वह चल पड़ेगाअंदर जो भी है, वह निकल पड़ेगाबढ़ती हुई रफ्तार को मिल गया आरामबस समझ लो तुम, यह है जीवन का अल्पविरामअटकते हैं कम ताकि सांस ले पाएपीछे छूटे वक्त को हम पास ले पाएदेर होगी हमको छूने के लिए मुकामबस सम

नारी आदिशक्ति

8 मार्च 2020
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हम लाए नए जीवन को और कराए स्तनपानहम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समानहम किसी आदमी से अब डरना नहीं चाहतेहम अपनी मां के गर्भ में अब मरना नहीं चाहतेहम भी करना चाहेंगे अपने खर्चों का भुगतानहम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समानहम भी आगे बढ़ेंगे तो काम आगे बढ़ेगाहम आपके साथ मिल जाए तो देश का नाम आगे बढ़ेगा

सफलता

29 फरवरी 2020
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कभी मत रहो आश्रित किस्मत पर केवलकरो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफलपहले तुम्हारे काम अटकते हुए दिखेंगेपहले तुम्हारे मार्ग भटकते हुए दिखेंगेकुछ समझ में न आए तभी जब तुम्हेंमन से ताकत खिसकते हुए दिखेंगेधीरे - धीरे बाद में तुम जाओगे संभलकरो तुम मेहनत, तभी होंगे तुम सफलछांव धूप से तुम्हे डराती हुई आयेगीसुस्

मोबाईल

16 फरवरी 2020
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पहले ज़रुरत थी आदमी को, केवल रोटी- कपड़ा - मकानआज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान 'क्रांति लाई है इसने, आया युग जानकारी काघर बैठे काम हो गए, नहीं इंतजार अब बारी काई - कॉमर्स से घर पहुंचते हैं छोटे - बड़े सामानआज लग रहा है यह नारा, कि ' मेरा मोबाईल महान 'बना यह घर का सदस्य, बसा यह सबके दिल म

नींद

19 दिसम्बर 2019
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दिनभर के थकान को एक झटके में खोने दोहो गई है रात, अब यार मुझे सोने दोआंखे हुई बंद तो अलग सा एहसास हुआबिस्तर होता आम है, पर उस समय वह खास हुआसपनों के ठेले को मुझे खुद ढोने दोहो गई है रात, अब यार मुझे सोने दोहैं पैसे हराम के, तो यह आपके साथ नहींआती है यह सबको, ऐसी यह बात नहींमैं इसे चाहता हूं, मुझे ईम

शमी द्वारा डू प्लेसी को चलता करते हुए

6 अक्टूबर 2019
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शिक्षकों के बच्चे

5 अक्टूबर 2019
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राधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शाम

5 अक्टूबर 2019
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श्याम को राधा चाहे, राधा को चाहे श्यामराधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शामकान्हा बजाए बांसुरी और राधा गाए गीतदेव और दैत्य बैठें देखे उनकी प्रीतदूर रखकर बंधन और दूर रखकर रीतप्रेम यह पाप नहीं, करो सरेआमराधाकृष्ण राधाकृष्ण बोलो सुबह-शामदिन को चले लीला और रात को चले रासतन से भले दूर रहे, मन से रहे पासएक ही

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