फिर एक वक्त ऐसा आया जब उन्हे दो विकल्पों में से किसी एक को चुनना था। शराब या दवाई। शराब उन्हे कुछ देर के लिए नशे का आनंद देता और दवाई उनकी पत्नी को थोड़ी सी और सांसे। इंसान स्वार्थी होता है पर इतना! उन्हे अपने लिए शराब की बोतल अपने पत्नी के सांसों से ज्यादा महत्वपूर्ण लगा। और फिर दवाई के बजाय उन्होंने शराब खरीदा। इधर उनके मस्तिष्क में नशे का असर प्रभाव डालने लगा और उधर उनकी पत्नी की सांसे थमने लगी। एक नशे में धुत आनंद की नींद सोया तो दूसरा मौत की। फर्क बस इतना था कि एक की नींद अल्प अवधि की थी तो दूसरी की अनन्त काल की।
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