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सुदेश सिंह 'सरगम' के बारे में

नमस्कार प्रिय पाठको मेरा नाम सुदेश सिंह 'सरगम' है। मैं उत्तर प्रदेश के बरेली जिला का निवासी हूँ। मैनें स्नातक की पढ़ाई सन् 2021 में पूर्ण कर ली थी, मैं अभी परास्नातक कर रहा हूँ। मैं एम० ए० की पढाई हिन्दी विषय से कर रहा हूँ। मेरी हिन्दी विषय में रुचि अधिक है। खास कर मैं हिन्दी साहित्य अधिक पसन्द करता हूँ। मैं कवितायें भी लिखता हूँ । मेरे अन्तर मन में जो विचार आते हैं उन्हें मैं कविता का रुप दे देता हूँ। 'मन की मुंडेर पर' मेरा काव्य संग्रह है, जिसमें गाँव-शहर, पुराने जमाने, और रीति-रिवाज़ो से जुड़ी हुई कवितायें हैं। धन्यवाद.!

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सुदेश सिंह 'सरगम' की पुस्तकें

'सूर्यास्त' वीर अभिमन्यु वध

'सूर्यास्त' वीर अभिमन्यु वध

प्रिय पाठकों वीर अभिमन्यु वध एक चम्पू काव्य है। जिसमें गद्य और पद्य दोनों तरह से लिखा गया है। आप इसे एक बार जरूर पढें। और अपनी टिप्पणी जरूर करें। जिससे हमें यह पता चल सके। आप ने मेरी किताब वीर अभिमन्यु वध को कितना पसंद किया। धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

निःशुल्क

'सूर्यास्त' वीर अभिमन्यु वध

'सूर्यास्त' वीर अभिमन्यु वध

प्रिय पाठकों वीर अभिमन्यु वध एक चम्पू काव्य है। जिसमें गद्य और पद्य दोनों तरह से लिखा गया है। आप इसे एक बार जरूर पढें। और अपनी टिप्पणी जरूर करें। जिससे हमें यह पता चल सके। आप ने मेरी किताब वीर अभिमन्यु वध को कितना पसंद किया। धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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मन की मुंडेर पर

मन की मुंडेर पर

प्रिय पाठको हमारी पुस्तक 'मन कि मुंडेर पर', एक काव्य संग्रह है। जिसमें मन कि मुंडेर पर समेत अन्य कवितायें भी हैं। मन कि मुंडेर पर काव्य संग्रह में किसी मात्रा या मीटर की कोई पाबन्दी नहीं है। इसमें सिर्फ मेरे अन्तर मन में आईं हुयीं बातों को काव्य का र

6 पाठक
23 रचनाएँ
3 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 105/-

प्रिंट बुक:

211/-

मन की मुंडेर पर

मन की मुंडेर पर

प्रिय पाठको हमारी पुस्तक 'मन कि मुंडेर पर', एक काव्य संग्रह है। जिसमें मन कि मुंडेर पर समेत अन्य कवितायें भी हैं। मन कि मुंडेर पर काव्य संग्रह में किसी मात्रा या मीटर की कोई पाबन्दी नहीं है। इसमें सिर्फ मेरे अन्तर मन में आईं हुयीं बातों को काव्य का र

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सुदेश सिंह 'सरगम' के लेख

सूर्यास्त

7 नवम्बर 2022
1
0

नमस्कार मित्रो मित्रो 'वीर अभिमन्यु वध' एक ऐसे काव्य छन्द में लिखा गया है। जिसे गद्य एवं पद्य दोनों में लिखा जाता है। इसे हिंदी साहित्य में

वीर अभिमन्यु वध

7 नवम्बर 2022
2
0

उस दिन सुबह कुरुक्षेत्र में सेनायें युद्ध के लिए पूर्ण रूप से तैयार थीं। पाण्डवों के मन में यह संदेह था न जाने आज कौन सा योद्धा मृत्यु को प्राप्त होगा। सभी अपने हैं। और अपनों की पीड़ा को कैसे सह

कुरुक्षेत्र

7 नवम्बर 2022
2
1

वीर अभिमन्यु वधकरुक्षेत्र में कौरवों और पाण्डवों में भीषण युद्ध चल रहा था। उस दिन सुबह जब सभी योद्धा और सेनायें कुरु

भाग 2 वीर अभिमन्यु वध

7 नवम्बर 2022
1
0

करुक्षेत्र में कौरवों और पाण्डवों में भीषण युद्ध चल रहा था। उस दिन सुबह जब सभी योद्धा और सेनायें कुरुक्षेत्र के लिए प्रस्थान कर रहीं थीं तो अभिमन्यु भी अपनी सेना के साथ तैयार हुए जाने से पहले अभिमन्यु

21- मर गये जिन्हें जिन्दगी से लड़ना नही आया

7 नवम्बर 2022
1
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मर गये जिन्हें ज़िन्दगी से लड़ना नहीं आया। वो क्या आसमां छुयेंगे उन्हें उड़ना नहीं आया ।।कि बहुत गिराया हवाओं नें उडते परिंदे को।जो सीख गया उड़ना उसे गिरना नहीं आया ।।हमारे रास्ते पथरीले थे पर हम चले

20- फूलों तुम्हारा खिल जाना क्या है?

7 नवम्बर 2022
1
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फूलों तुम्हारा खिल जाना क्या है? । खिल के फिर मुरझाना क्या है? ।।अगर काँटों की हिफाज़त से हो जिन्दा । तो फिर बिन पानी मर जाना क्या है ? ||अपनी मेहनत से संभरते हैं दिन। दूसरों की मदद से, हो जाना क्या ह

19- जी हाँ मैं गीत लिखता हूँ

7 नवम्बर 2022
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जो बंजर खेत में बीज उगा दे, जो रूठे प्रियतम को मना दे, जो दिल की नफरत को मिटा दे, जो बिछड़े परिन्दों को मिला दे, मैं ऐसी प्रीत लिखता हूँ। जी हाँ मैं गीत लिखता हूँ ।।मीरा की सी भक्ति होगी, जो कृष्ण भक्त

18- मैं अपनी आंखों की कद्र करता हूँ

7 नवम्बर 2022
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मैं अपनी आंखों की कद्र करता हूँ। यही हैं, जो मेरा गम बता देतीं हैं ।।ये दिल तो दर्द छुपानें में लगा है। धड़कनें हैं जो, सब सुना देतीं हैं ।।सबको नहीं मिलता कश्ती से किनारा। ये बहके हुए मुशाफिर को डुबा

17-  मौन रहने दे

7 नवम्बर 2022
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झूठी बातें चलती हैं, सच्ची बात कौन कहने दे?। अच्छा यही होगा कि, तू अब मुझे मौन रहने दे।।अपनी बात बताऊँगा, तो लोग उपहास बनायेंगे।न कुछ करने देगें, और न ही कुछ कर पायेंगे ।।कोशिश का विश्वास जगत में, झूठ

16- चाहत में नजाकत कैसी

7 नवम्बर 2022
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चाहा है तो चाहत में नजाकत कैसी। मोहब्बत में किसी से बगावत कैसी ।।अन्दर से हमारे खिलाफ हैं वो । फिर चहरे से इतनी सराफत कैसी ॥मानवता के मन्दिर में चिराग तक न जलाया। फिर ईश्वर के मन्दिर में इबादत कैसी ।।

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