सोचो
आज जब मैं ऑफिस पहुँचा
जैसे ही चाय की कप मेरे टेबल पे आया उसी बीच मेरा एक फोन आया और मैं ऑफिस के बाहर आ गया तभी एक मासूम बच्ची उम्र लगभग 5 साल बोली शाहब कुछ पैसे दे दो जैसे ही मेरे कान तक उस मासूम बच्ची की आवाज़ पहुँची मैंने झट से कॉल कट किया और उसी बच्ची से बात करने लगा कि क्या तुम पढ़ते हो वह अपने मासूम से आवाज़ से बोली साहब घर मे पैसे नही है उसकी यह अंदाज़ देख कर मैं दंग रह गया कि 5 साल की बच्ची इतनी बेबाक मैं उसे पैसे न देकर खाने के लिए थोड़ा सामग्री चावल 500 ग्राम आंटा 500 ग्राम ऐसे ही थोड़ी बहुत समान दिला दिया 300 रुपये खर्च हुआ पर उससे कही ज्यादा खुसी इस बात की थी कि
अल्लाह मुझे कुछ नेक काम ले रहा है
हर कोई कहता है अली तुम गरीबी नही मिटा सकते पर मैं कहता हूँ कि हाँ मैं गरीबी तो नही मिटा सकता पर कुछ लोगो के चेहरे पे मुस्कुराहट तो ला सकता हूँ
आप भी करे दिल को बड़ा सुकु मिलेगा
सुनो यूथ की आवाज़