कटी-फटी टूटी-फूटी उथडी-चिथड़ी हर-रोज डराती वादी में
आओ जश्न मनाओ बच्चों लड़ती मरती बर्बादी मैं
जिसने भारत मैया की अखियों में काला काजल पोता है |
वही लालकिले से चीखे ||| ये केसा समझौता है ??
एक बरस में आजादी का ढोंग दिखाना बंद करो
योजनाओं से खून चूसकर ढोल बजाना बंद करो
सुबह शाम दोपहर रात्रि धर्मों की जय करते हो
एक बरस में एक दिन देशभक्ति का दम भरते हो
स्वर्ण देश ,स्वर्ण प्रदेश नहीं बनता है दारु ,गांजे की फूंको से
देश बने है हंसी किलकारी से ममता की मुस्काती कुकों से
माँ बहनों की लाज लूटकर जय जय चिल्लाना बंद करो
घिसी पिटी सोचे जेब में रक्खो देश चलाना बंद करो | ||
© बागी