4 नवंबर, 2022, शुक्रवार
रात्रि 2:40 बजे
आज का दिन तनाव से भरा रहा। कल ही नवोदय विद्यालय भर्ती परीक्षा की तिथि घोषित हुई थी। संपूर्ण पाठ्यक्रम दोहराना है। इतना विस्तृत पाठ्यक्रम हो और परीक्षा सिर पर हो तो तनाव होना लाजिमी है। आज सुबह का भोजन विलंब से किया। सुबह चाय के बाद पाठ्यक्रम में मेरा कौन-सा टॉपिक कमजोर है और कौन-सा मजबूत है, इसको देखा। लगभग 11 बजे भोजन करने के बाद अनवरत पाँच घण्टे अध्ययन में जुटा रहा। रात को 9 बजे के बाद फिर अनवरत् 2 बजे तक पढ़ता रहा। रह-रह कर यही चिंता सता रही थी कि इतने कम दिन में पाठ्यक्रम कैसे दोहराएँ वो भी 10-10 विषयों का?
अगर मंजिल को लेकर तनाव हो तो सोहनलाल द्विवेदी जी की ये पंक्तियाँ याद आ ही जाती हैं, जो तनाव को कम करके सकारात्मकता पैदा करती है-
'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
खैर, 2 बजे के बाद पढा़ई बंद करके कुमार विश्वास जी की एक कविता सुनी। अंत में 'शब्द इन' पर दैनन्दिनी लिखी।
अंजनी कुमार शर्मा