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थोड़ी सीख पटना के भाई गुरमीत सिंह से...

12 अप्रैल 2016

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पटना के सरदार गुरमीत सिंह मौजूदा कपड़ों की अपनी पुश्तैनी दुकान संभालते हैं।लेकिन रात होते ही वे 90 साल पुराने और 1760 बेड वाले सरकारी पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के मरीज़ों के लिए मसीहा बन जाते हैं। बीते 20 साल से गुरमीत सिंह हर रात लावारिस मरीज़ों को देखने के लिए पहुंचते हैं। वे उनके लिए भोजन और दवाएं लेकर आते हैं।

भाई गुरमीत सिंह पिछले 13 साल से कभी पटना से बाहर नहीं निकले, छुट्टियां नहीं लीं। वे इन लावारिसों को उनके हाल पर नहीं छोड़ना चाहते। भाई गुरमीत सिंह अपने पांच भाईयों के साथ अस्पताल के सामने ही एक बहुमंज़िला इमारत में रहते हैं. वह हर रात नौ बजे अपने अपार्टमेंट से बाहर निकलते हैं और अस्पताल की ओर चल देते हैं. वे अपनी जेब में मरीज़ों की दवाओं के लिए कुछ पैसे रखना नहीं भूलते। पांचों भाई अपनी मासिक आमदनी का 10 फ़ीसदी हिस्सा इस मदद में जमा करते हैं. इस अस्पताल में इलाज तो मुफ़्त में होता है, लेकिन दवाएं ख़रीदनी पड़ती हैं। 

वाकई, अपने लिए जिए तो क्या जिए, ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए ! सरदार गुरमीत सिंह के जज़्बे को सलाम !

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इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जाने-माने व्यक्तियों की संक्षिप्त जीवनी की झलक पा सकते हैं ।
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