अब कोई नारी दब कर न.रहेगी।।
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आज उसने अभी तक रोटी नही बनाई, पांच ही तो बजे हैं अभी ज्यादा समय थोडा ही हुआ हैं भाई।। फिर मना करने पर जब पति ने खुद बना मां बेटे को दी खिलाई, तो अपनी नही बना सकता था, कहा थी कोई 
उसने उसको बंद पिंजरे से निकाल, ऐसा खुला समंदर दिखाया, जिसका कोई आसमां तक न था,था तो खुलापन काफी ,बेहद काफी, पर टुकड़ा जमीं का जरा पास तक न था।।वो खुश तो थी बहुत आकर पिंजरे से बाहर, पर