आज सुबह उठते ही पतिदेव ने मुझे मिनिरल बॉटल को काटकर उसमें लगाए तुलसी के पौधे को मेरे जन्मदिन का उपहार कहकर दिया तो मैंने उनसे कहा कि लोग अपनी पत्नी को उसके जन्मदिन पर महँगे से महँगा उपहार देते हैं और एक तुम हो कि जो मुझे तुलसी का पौधा पकड़ा कर सस्ते में चलता कर रहे हो तो वे कहने लगे कि अरे, तुम ही तो पेड़-पौधों में सुकून तलाशने की बातें करती हो, बगीचा-बगीचा खेलती हो तो मैंने सोचा तुम्हारे लिए इससे अच्छा उपहार और क्या हो सकता है? खैर उनकी बात सही है मुझे सच में पेड़-पौधों से बड़ा प्रेम है, इसलिए मुझे उनका यह उपहार देखकर बड़ी ख़ुशी हुई। इसके साथ ही आज शब्द.इन मंच ने भी बेस्ट सेलर प्रतियोगिता अप्रैल का परिणाम घोषित कर मुझे मेरी कहानी संग्रह ' होंठों पर तैरती मुस्कान' को विजेता के रूप में उपहार दिया तो ख़ुशी दुगुनी हो गयी है। मैं अपने जन्मदिन पर कोई न कोई पेड़ या पौधा जरूर लगाती हूँ इसी क्रम में आज शाम को ऑफिस से घर पहुंचकर मुझे सबसे पहले तो पतिदेव द्वारा उपहार में दिया हुआ तुलसी के पौधा जमीन में लगाना है और उसके बाद बच्चे और पतिदेव मिलकर जो घर में पार्टी देंगे उसका लुत्फ़ उठाना है। क्योँकि मैंने कल रात को उन्हें आपस में कुछ खुसुर-फुसुर करते हुए सुना था। जो भी हो पार्टी तो पार्टी है और अगर वह अपने घर में मिलकर होती है तो उसकी बात ही निराली होती है, उसे मनाने का मजा ही कुछ और होता है।
मिलते है फिर, तब तक आप गुनगुनाते रहे यह गीत