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हरीश भट्ट के बारे में

मैं पल दो पल का शायर हूँ ... मुझसे पहले कितने शायर आए और आकर चले गए कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग़मे गाकर चले गए वो भी एक पल का किस्सा था मैं भी एक पल का किस्सा हूँ कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ मैं पल दो पल का शायर हूँ ...

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हरीश भट्ट की पुस्तकें

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हरीश भट्ट के लेख

इंसानियत

24 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">काश! </span></div><div><span style="font-size: 16px;">ईश्वर

अद्भुत

21 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">मैंने देखा है</span></div><div><span style="font-size: 16px;">गु

सन्नाटा

14 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d3d5142f7ed561c88

ज़िदबाजी और हिंदुस्तान

12 अगस्त 2020
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एक समुद्री यात्री वास्कोडिगामा 20 मई 1498 को यूरोप से मसाले का व्‍यापार करने के लिए हिंदुस्तान के कालीकट बंदरगाह पर क्या पहुंचा कि 15 अगस्त 1947 को विश्व की सोने की चिड़िया के रूप में प्रसिद्ध हिंदुस्तान भारत-पाकिस्तान बन गए. सच मानिए ब्रितानी हुकूमत यदि जुल्म की इंतेहा पार ना करती तो हिंदुस्तान बुल

कोरोना और यमराज की चिंता

22 जुलाई 2020
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कोरोना वायरस की धमाकेदार पारी नॉन स्टॉप चल रही है. नीम-हकीम और ताबीज वाले बाबाओं की तो छोड़िए पूरा का पूरा मेडिकल साइंस पसीने से तरबतर है. कोरोना को क्लीन बोल्ड करना तो दूर की बात फिलहाल तो बाउंड्री पर लपकने के भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे है. नीचे वाले हो या ऊपरवाला सभी लॉकडाउन है. यमराज बोले, सुनो च

कोरोना का कहर और आपसी व्यवहार

16 जुलाई 2020
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कोरोना काल में ऐसा भी क्या आर्थिक संकट की एक या दो महीने का बेकअप भी नहीं है। मार्च से पहले करोड़ों-अरबों का बिज़नेस करने वाले भी छाती पीट रहे है कि धंधा चौपट हो गया है। सोचने वाली बात है कि जब हाई क्लास बिज़नेस करने वालों के ये हाल है तो उन बेचारे दैनिक दिहाड़ी वालों का क्या हाल होगा। जिनमे से ज्यादातर

हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा

12 फरवरी 2020
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एक राजा था। उसका मंत्री बहुत ही होशियार और अड़ियल था। दरबार के कई सभासद मंत्री के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहते थे। एक बार राज्य के एक नगर में सत्ता रोग फ़ैल गया। उस बीमारी से राजा बहुत परेशान हो गया। ना दिन को चैन, ना रात को आराम। वो राज्य को देखे या उस नगर को। राजा की परेशानी को देखते हुए, उसके मंत्री ने

छात्र पुलिस और पॉलिटिकल मोक्ष

18 दिसम्बर 2019
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यूनिवर्सिटी कैंपस में पुलिस प्रवेश गलत है तो छात्रों का राजनीति में दखल क्यों? तटस्थ रहने का विकल्प भी होता है. राजनीतिक नायकों की पटकथा जब छात्र आंदोलनों में ही लिखी जाती हो, तब पुलिसिया सीन तो बन ही जाता है. अब कहने-सुनने और बहसबाजी के लिए तर्क- वितर्क हो सकते है. बात जब विचारधाराओं के टकराव की हो

मानव मन की बात ही क्या?

4 अक्टूबर 2019
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मानव मन की बात ही क्या, पता नहीं कब कौन सी बात उसके मन को भा जाए और कब कौन की बात उसके दिल में घर कर जाए, कहां नहीं जा सकता। कब वह आकाश की ऊंचाइयों को छूने की कल्पना करने लगे और कब वह धड़ाम से जमीन पर आ गिरे। आज तक कोई भी मानव मन की थाह तो क्या, उसके एक अंश को भी नहीं जान पाया। आपका प्रिय आपकी कौन सी

छोटी सोच और पैर की मोच

30 सितम्बर 2019
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छोटी सोच हो या पैर की मोच, कभी आगे नहीं बढ़ने देती. जहां छोटी सोच के चलते नीयत डोलने में देर नहीं लगती,वहीं पैर की मोच अपाहिज बना देती है. बाकी बची दुनिया, जिसके पीछे पड़ जाए, तो ऐसे पड़ती है कि जैसे खुद दूध की धुली हो. किसी काम की सकारात्मक या नकारात्मक समीक्षा हो सकती है. लेकिन किसी के अस्तित्व को

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