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पुष्पा पी. परजिया के बारे में

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पुष्पा पी. परजिया की पुस्तकें

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पुष्पा पी. परजिया के लेख

pathik

13 अक्टूबर 2019
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Hausale buland rakh aie pathik tu Zamane ki in chingariyon me Kahin jhulas na jana tuNam unhi ke hua karte hain sangemarmar ki deevaron par Jisane apne lahoo k katron ko Chhint kar sajai thi apne armano ki dunia koHatash ho ,nirash ho eisa jazba na rakh kabhiDil me apne.. Jab thaan hi li

जय श्री गणेश

17 नवम्बर 2015
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गणपति जी विघ्नहर्ता , बुध्धि दाता, दुःख हर्ता सरल सकल मनोरथ पूरण सदैव भक्तों का साथ देने वाले ऐसे भक्तवत्सल भगवान को कोटि कोटि वंदन .श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री

निस्तब्ध

25 अक्टूबर 2015
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निशब्द निशांत नीरव अंधकार की निशा में कुछ शब्द बनकर मन में आ जाए, जब हिरदय इस सृष्टि पर एक विहंगम दृष्टि कर जाये भीगी पलके लिए नैनो में रैना निकल जाये विचार पुष्प पल्लवित हो मन को मगन कर जाये दूर गगन छाई तारों की लड़ी जो रह रह कर मन को ललचाये ललक उठे ह

साईं चालीसा

6 अक्टूबर 2015
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  अपने सभी पाठकों से   मेरी एक नम्र  विनती  है  की   किन्ही तकनिकी कारणों की वजह से  पहले  यहाँ जो मैंने  इन्टरनेट  के माध्यम से   साईं चालीसा शेयर  की थी वो नही  दिखाई दे रही थी इस वजह से   मैंने    पुनः   साईं चालीसा  यहाँ शेयर की है   जो की  इन्टरनेट  के माध्यम से ही ली है मैंन

इम्तिहान के समय अच्छी याददास्त बनाये रखने के लिए कुछ नुस्खे

2 अक्टूबर 2015
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(अंतर्जाल के मध्यम से  विद्यार्थियों के लिए कुछ   उपयोगी  नुस्खे )इम्तिहान  करीब आते ही दिमाग में बस पढ़ना और पढ़ना ही याद आता है। न दिन देखते हैं और न रात किताबों की दुनिया में खोए रहने का मन करता है। जो समझ में आया तो ठीक वर्ना  उसे रट लिया। दिक्कत यह है कि तैयारी में महिनों लगाने के बाद भी कई बार न

" फूलों से"

27 सितम्बर 2015
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कहीं तू सजता शादी के मंडप में कहीं तू रचता दुलहन की मेहंदी में कहीं सजता तू द्दुल्हे के सेहरे में कहीं बन जाता तू शुभकामनाओं का प्रतिक तो कहीं तुझे देख खिल उठती तक़दीर कहीं कोई इजहारे मुहब्बत करता ज़रिये से तेरे तो कहीं कोई खुश हो जाता मजारे चादर बनाकर कहीं तेरे रंग से रंग भर जाता मह

"जिंदगी अनमोल है "

24 सितम्बर 2015
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जीवन का अंत जब जानबूझकर किया जाय तब वो आत्म हत्या बन जाती है लेकिन क्यों? और कैसे एईसी परिस्थिया जीवन में उत्पन्न हुआ करतीं है जो सबके(क्यूंकि हरेक इन्सान को अपना जीवन बेहद प्यारा होता है) प्यारे जीवन को समाप्त करने के लिए इन्सान को मजबूर करती है .. सामान्यतः दैनिक जीवन में

दर्दे दिल की दास्ताँ

16 सितम्बर 2015
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तकते रहे राहें हम उम्र के हर मोड़ पर उम्मीद का छोड़ा न दामन क़यामत की दस्तक होने तक मुस्कान सजाये होठों पर हम जीते गए अंतिम आह तक सोचा कभी मिल जाय शायद कहीं खुशियों का आशियाँ हमें भी पर थे नादान हम कि न समझ सके बेवफा ज़माने के सितम आज तक अंतिम मोड़ पर पता चला कोई नहीं अपना यहाँ हम तो इक मेहमान थे

जय श्री गणेश

15 सितम्बर 2015
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गणपति जी विघ्नहर्ता , बुध्धि दाता, दुःख हर्ता सरल सकल मनोरथ पूरण सदैव भक्तों का साथ देने वाले ऐसे भक्तवत्सल भगवान को कोटि कोटि वंदन .श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री

ओ जाने वाले लौट के आना

9 सितम्बर 2015
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दोस्तों आज पने स्वाभाव से अलग शीर्षक दिया है मैंने इस कहानी का आप चौंकिएगा मत क्यूंकि कहानी इन शब्दों से ही मर्म रखती है सुबह से जब किवाड़ न खुले तब सबने सोचा की आज आंटी जी क्यूँ अब तक सो रहीं हैं , सुबह भोर में जगने वाली आंटी के किवाड़ क्यूँ अब तक बंद हैं ? क्या हुआ होगा कुछ जिज्ञ

किताब पढ़िए