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रमेश कुमार सिंह के बारे में

मैं हाईस्कूल रामगढ चेनारी रोहतास सासाराम बिहार में हिन्दी शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं।कैमूर बिहार का रहने वाला हूँ।मेरी रूचि -पढाने साथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~मैं हाईस्कूल रामगढ चेनारी रोहतास सासाराम बिहार में हिन्दी शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं।कैमूर बिहार का रहने वाला हूँ।मेरी रूचि -पढाने केसाथ साथले लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जा

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रमेश कुमार सिंह की पुस्तकें

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रमेश कुमार सिंह के लेख

देश की कैसी हालत बन गई है

13 मई 2016
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देशद्रोहीयों  के  कारण  कैसी  हालत  बन  गई  है।यहाँ   लुट- घसोट  की   जैसी  आदत  बन  गई  है।नहीं किसी पर कोई रहम, यहाँ चलता है मनमानी, अपने स्वार्थ  को  पूर्ण  करना  आदत  बन  गई  है।आज हमारे देश की कैसी हालत बन गई है------।हो   रहा  है  हर  जगह  पर  भारी-भारी अत्याचार।मंत्री से अधिकारी  तक  नहीं  कर

आखिर क्यों गोडसे ने गाँधी जी को मारा सच्च जाने (संकलित)

12 अक्टूबर 2015
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आखिर क्यों मारा गोडसे ने गाँधी को सच जाने विभाजन की पीड़ा.. गाँधी वध की वास्तविकता और ... हुतात्मा गोडसे ... कैसे उतरेगा भारतीय जनमानस से गोडसे जी का कर्ज ...... क्या थी विभाजन की पीड़ा ? विभाजन के समय हुआ क्या क्या ? विभाजन के लिए क्या था विभिन्न राजनैतिक पार्टियों का दृष्टिकोण ? क्या थी पीड़ा

फुटपाथ के बशिंदे

7 अक्टूबर 2015
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पिघल उठता है हृदय,जब नजर जाती है फुटपाथ पर,कैसे ? बिताते हैं अपना जीवन।उस भयानक डगर पर।अपना बसेरा खुले आसमान में बनाये हैं।रुलाई गुप्त कमरे में,उनके हृदय में उमड़ती है।सुसंस्कृत,बुद्धिमानों की श्रेणी में नहीं आते।इन सब चीजों से दूर,उसी परिवेश में जन्मे बालकों का,परिवरिश करती हैं।अ

कहीं कहीं

24 अगस्त 2015
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कहीं-कहीं हवा बहीं, कहीं-कहीं घटा छाईं,कहीं-कहीं फुहारों की गजब सी छटा चली।कहीं-कहीं गगन में, बादलों की घटा छाईं,कहीं-कहीं उसे देख उमंग भरी छटा चली।कहीं-कहीं खेतों में हरियाली की घटा छाईं,कहीं-कहीं फसलों में लहरों की छटा चली।कहीं-कहीं किसानों में खुशियों की घटा छाईंकहीं-कहीं खेतों में औजारों की छटा

प्यार 💘 इजहार

23 अगस्त 2015
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•••••••••••••••••••••••••••••••••लो हाथों में--- प्यारा फूल सजा लो।दिल के अन्दर--- मेरा दिल बसा लो।उमंग भरे पल में--- इजहार करके,मेरी दुनिया को--- अपना बना लो।।••••••••••••••••••••••••••••तेरे लिए मैं यहा वक्त लेकर आया हूँ।इस खुशी पल में कुछ लेकर आया हूँ।मेरी हँसी को अपनी हँसी में मिलाना,प्य

देख रही है

23 अगस्त 2015
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रूपसि तेरा,श्यामल-श्यामल,कोमल-कोमल,केश-पाश,लहराता है,तेरे वक्ष पर।सजल अंग,खुली अलकों से,तिरछी नजर के छोरों में,तेरा उज्ज्वल हास्।पुलकित कर-मन को,शीतल मुस्कान लिए,अंकित कर ,चंचलता मन में लिए।आँखों के कोरों से, देख रही है!!!----••••------रमेश कुमार सिंह२२-०७-२०१५

आज और कल

14 अगस्त 2015
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यह कैसी आजादी है ?———————-!!देश की हो रही बर्बादी———————-!!कल देश के लिए कितने लाल~~हो गये कुर्बान। आज देश के लिए बन गए नेता~ अच्छे मेहमान। कल वीर सपूतों ने~ अपना सर कलम कर दिये। आज नेताओं ने माँ के साथ छल कपट कर रहे हैं।कल वीर सपूतों ने माँ के प्रति किया अच्छा काम। आज नेताओं ने भारत माँ को बेच रहा

आजादी

14 अगस्त 2015
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पराधीनता के आड़ में~ स्वतंत्रता कितना प्यारा नाम।इसी चाहत में किये वीर सपुत्र~ अपना काम तमाम ।सन् सन्तावन में वीरों ने शुरू किया स्वतंत्रता संग्राम ।आजादी की घोषणा कर देश में किये महत्वपूर्ण काम।देश के वीर जवनों एवं अंग्रेजों में युद्ध हुआ घमासान।गिरते गये भारतमाता के लाल, पिछे नहीं हटे जवान।उनके हर

मुक्तक

13 अगस्त 2015
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•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••काले-काले बालों को लहराने से, नभ में काली घटा छाने लगी।ओठों पर मुस्कुराहट लाने से~~चेहरे पर हरियाली छाने लगी।ये जुल्फे, ये आँखें, इस मधुर-मधुर मुस्कुराहट के संमागम से,ऐसा कर गई, मुझ पर जादू, कि ख्वाबों-ख्यालों में आने लगी।••••••••••••••••••@रमेश

इन्सान

13 अगस्त 2015
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ऐ ऊपरवाले क्यों बड़ा रचकर बनाया ऐसा इन्सान। बनाते समय सोचा होगा कि ये प्राणी हैं~ बुद्धिमान। बहुत बड़े शैतानों की श्रेणी में~~आ गये हैं ये मनुष्य,इनके हरकतों से दूसरे प्राणी भी~~ हो गये हैरान।।बनाकर भेजा इस मानव को~~यहाँ सबका रक्षक। बन गया इस धरती पर आकर यहाँ सबका भक्षक। लगे छिप-छिपकर रहने यहाँ सभी जी

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