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राजेश कुमार श्रीवास्तव के बारे में

कविता, कहानी, लघु कथा लेखन में रूचि / कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित / वर्तमान में पश्चिम बंगाल विद्युत विकास परिषद में कार्यरत /

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राजेश कुमार श्रीवास्तव की पुस्तकें

राजेश कुमार श्रीवास्तव के लेख

बंगलादेश के राष्ट्रगान में मातृवन्दना

18 अगस्त 2017
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उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के सभी मदरसों में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रगीत गाने के आदेश के खिलाफ कई मुश्लिम संगठन और इस्लामिक धर्मगुरुओं ने आवाज़ बुलंद की है / खबर है की भारतवर्ष के राष्ट्रगान वन्दे मातरम को गैर इश्लामिक करार देते हुए कई मदरसों में इसे गाने नह

संघे शक्ति कलियुगे

5 अगस्त 2017
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अब देश के तीनों शीर्ष पदों पर राष्ट्रिय स्वयं संघ से सम्बंधित लोग आसीन हो चुके है / राष्ट्रपति के पद पर श्री रामनाथ कोबिंद जी , उपराष्ट्रपति के पद पर श्री वेंकैया नायडू जी और प्रधानमंत्री के पद पर श्री नरेंद्र मोदी जी आसीन ह

मेरा वो देश कहाँ है /

22 जुलाई 2017
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http://rajeshkumarsrivastav.jagranjunction.com/2017/07/22/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A5%8B-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%B9%E0%A5%88/

मैं मोबाइल फोन हूँ

29 जून 2017
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मैं मोबाइल फोन हूँ / वर्तमान युग में - मानवता के खातिर - मानव द्वारा आविष्कृत - एक अभूतपूर्व खोज / मैंने सिमटा है दूरियों को - ताकि इस विशालकाय पृथ्वी को बनाया जा सके एक गांव / मैंने मिलाये है - कई अनजानों को / बधें है कई जोड़ों पवित्र बंधन में - मेरे ही खातिर

कई और बंगलादेश बना देंगे /

14 जून 2017
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तुम बार-बार- हमारी सहनशीलता का - परीक्षा लेते हो / जीत जाने पर बुजदिल, और- हारने पर असहिष्णु / नाम देते हो / तुम पत्थर चलाते रहो, और - हम फूल बरसाते रहें / ये कैसा तुमने - शौक पाल रखा है / सहनशीलता का ठेका क्या अकेले हमने ही - सम्भाल रखा है / एक गाल में थप्पड़ - जड़ दो

दूरियाँ

14 जून 2017
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चलो दूरियां कुछ सिमटा लेते है / एक दूजे को फिर अपना लेते है / क्या ठीक, ये जिंदगी रहे ना रहे / रिश्तों की गर्माहट बढ़ा लेते है / ना तुम याद रखो, मै भूल जाऊ / सारे गीले -सिकवे मिटा लेते है / तुम मैं, और मैं तुम बन जाऊं / रिश्तों को नया अंजाम देते है / दूरियां बढ़ ना पाए फिर

शौच का समय

9 जून 2017
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कुछ साल पहले की घटना है / मैं अपने पैतृक गांव बैकुंठवा एक रिश्तेदार की शादी में सम्मिलित होने आया हुआ था / यह गाँव बिहार प्रदेश के पश्चिम चंपारण जिले में है / यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है / मुझे एक सप्ताह यहाँ रुकना था / जून का महीना था / काफी गर्मी पड़ रही थी / सुबह चार बजे ह

हो मेरे राम

7 जून 2017
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हो मेरे राम, मेरे भगवान / फिर से आओ ना अपने धाम / हो मेरे राम, मेरे भगवान / छल की शिकार बन रही अहिल्या / बन जाओ ना तारणहार / तुझे पुकार रहे विश्वामित्र होकर ताड़का , मारीच से परेशान / हो मेरे राम, मेरे भगवान / फिर से आओ ना अपने धाम / सब कुछ लुटा चुकें है सुग्रीव / आओ

हम कितना नीचे उतर गए

25 मई 2017
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हजारों साल पहले जिस देश में - विशाल स्नानागार हुआ करें , और आज उसके नागरिकों को - शौच करने की जगह बतलानी पड़े, तो समझों हम कितना पिछड़ गए / जिस देश के संस्कार में - स्वच्छता को ईश्वर का निवास - बतलाया जाय और - फिर आज उसके निवासियों को - स्वच्छता की पाठ पढाई जाय / तो समझो

मुझे दूसरे के घर जाना है न

24 मई 2017
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अपने मित्र सोहन के साथ उसके बहन के घर पहुँचा / सोहन की बहन रेखा की शादी शहर से ४० किलोमीटर दूर एक गांव में हुई थी / सोहन और हम एक दूसरे के गहरे मित्र थे / हमें देखकर पता ही नहीं चलता की हमलोग मित्र है या सगे भाई / रेखा भी मुझे अपने छोटे भाई जैसा प्यार देती / रक्षा बंधन हो

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