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मंजीत ठाकुर के बारे में

मैं पेशे से टीवी पत्रकार हूं. लिखना शौक भी है, मजबूरी भी। इसके अलावा कोई काम नहीं आता। टीवी, रेडियो, प्रिंट, वेब माध्यमों के लिए लिखता हूं। फिक्शन, नॉन-फिक्शन, अनुवाद, सीरियल, डॉक्युमेंट्री, फिल्म, रेडियो के लिए कहानी...अनवरत। लिखने के अलावा पढ़ने का शौैक़ भी है। पढ़ने के मामले मे कोई गुरेज़ नहीं। लुगदी से लेकर उच्चस्तरीय साहित्य, वेद से लेकर वेदप्रकाश शर्मा तक, हर चीज़ पढ़ लेता हूं। आजकल कुकिंग सीख रहा हूं। पहले मधुबनी और मधुपुर का था, अब कहीं का नहीं हूं...घुमक्कड़ी और आवारागर्दी करते हुए देश भर में भटकते रहना सबसे अधिक पसंद। फोटोग्राफी का शौक भी है।

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मंजीत ठाकुर की पुस्तकें

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मंजीत ठाकुर के लेख

बाहुबली का बल

7 अगस्त 2015
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सिनेमा के परदे पर अमर चित्रकथा। फिल्म बाहुबली से बचपन की यादें ताज़ा होने लगीं। मैंने इस फिल्म को देखने से पहले बाहुबली के बारे में कुछ पढ़ा नहीं था। किसी ने बताया आप बस सिनेमैटोग्रफी और ग्राफिक्स का मजा लीजिए। सिनैमैटोग्रफी हमने संतोष सिवान की अशोक में भी देखी थी, और साहब, क्या कायदे की सिनैमैटोग्र

कलाम होने का मतलब

7 अगस्त 2015
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कलाम होने का मतलब क्या है? इस एक हस्ती का परिचय किन शब्दों में कराया जा सकता है...शायद एक वैज्ञानिक..देश के प्रथम व्यक्ति, चिंतक, प्रेरणादायी व्यक्तित्व...। 84 साल की उम्र कम नहीं होती। लेकिन अगर वह उम्र एपीजे अब्दुल कलाम की हो, क़त्तई अधिक नहीं मानी जा सकती।कलाम साहब से बहुत कुछ सीखना शेष था।देश के

आवारापनः किष्किन्धा कांड!

4 फरवरी 2015
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गरमियों में कर्नाटक जाना हुआ था। लेकिन आवारगर्दी कहिए या फिर खानाबदोशी की मेरी आदत, एक जगह टिककर रहना नहीं हुआ। बीजापुर, गुलबर्गा वगैरह में सूखे और किसानों की आत्महत्या की ख़बरें कर चुका था, मन और तन दोनों क्लांत हो चुके थे। हॉसपेट थोड़ा दक्षिण है गुलबर्गा से। बेल्लारी ज़िले में। अरे, वही बेल्लारी

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