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aradhana के बारे में

1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है,1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है

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aradhana की पुस्तकें

Arukath

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smritiya

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बीता लम्हा था क्यों याद करे<span style="color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-s

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<p><span style="color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">बीता लम्हा था क्यों याद करे</span></p><p><span style="color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-s

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aradhana के लेख

गीत

2 सितम्बर 2016
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प्रीत हूँ गीत बन कर साथ निभा जाऊँगी हर साँस में गुनगुनाती शहनाई बन जाऊँगी बोलो मीत मेरे तूम कैसे सुर से सुर मेरेसंगहंस कर मिलोगे पात जो मिला फूलबन महक जाऊँगाधारा बन जो गया निर्झर गीत बन तुम्हेहर रंग में निखार दूँगाधुप तूम बनी चमकती तरु हि

कभी कभी

30 मई 2016
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दास्ताँ  दिल  कि  दिल में  जली जाती  है,,,, आह  दिल  से  निकल  कर  और  कहाँ  जाती  है   इंसान  को  कितना  सच  बोलना  चाहिए  उतना  जितना  महात्मा  गांधी  ने  बोला   या  उतना  जितना  नेहरु  ने  बोला ,इंसान  को  कितना  सच  बोलना  चाहिए  उतना  जितना  महात्मा  गांधी  ने  बोला   या  उतना  जितना  नेहरु  ने

दोस्तो देख लो

14 मार्च 2016
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करम कैसा ये उल्फतो का अजब है दोस्तो देख लोपड़े हैं  उनकी  रहमतो पर गज़ब  दोस्तो देख लोखतावार  हुआ खुद  गम का  शिकार रास्ता देख लोरहम यहाँ किस के दिल के करीब  दोस्तों देख लोकड़ी दरवाजे की बंद कर के दुनियाँ  से वास्ता देख लोआँख बंद कर के सहरा -ओं के सराब  दोस्तों देख लोबड़े अदब का क़ायदा रिवायत उनकी कायदा

अधुरा गीत

12 मार्च 2016
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गीत अधुरा रह गयामौन अनकहा रह गयाप्रीत की बतिया  कहीमन  तृष्णा  कह गयाबसंत रीता  रह  गयाहर रंग फीका रह गयासाँझ विरहन भाई नहींमौसम अधुरा रह गयासाँझ की बेला का दीयासिसकता हुआ रह गयाचूड़ियाँ टूटी सुहाग कीहिय का गहना खो गयासरहद पे सिंदूर पुछ गयादेश के नाम पीया तू गयाआँसुओं से स्वपन लिखापीड़ा में उमड़ के कह

किस्मत

12 मार्च 2016
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आराम नहीं जिनकी किस्मत मेंरात- दिन बस ठोकरें ही खाईलहू पिला खेतों को पालाकर्जों की गठरी भर कर उठाईतिलहन , सरसों , गेहूं की खेतीकिसान के घर रोटी क्या लाई बीज़ - फसल खा गई धरतीरिक्त हुआ कोष बात समझ नाआईप्यासी धरती भूखा किसान हैकोई ना जाने यह पीड पराईआराधना राय "अरु"

आसमान

21 दिसम्बर 2015
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आसमान तेरी किस्मत का कोना ना रहा बहारों इस जहाँ में नज़ारा ना रहा रोक लेते गर रुक जाता तेरा काफिलागिर कर आफ़ताब भी सितारा ना रहा बीती बातों के लिए बिता दी ज़िन्दगी बहते साहिल का कोई किनारा ना रहा कतरा- कतरा जोड़ कर जीते रहे हम भी इस जहान में कोई अब हमारा ना रहा कब तक सितम ढाती रहेगी बिज़लियाँइस आसमा

जाती बहार में

10 दिसम्बर 2015
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मौसम के रंग -राग गए जाती बहार मेंफूलों के लब से हास गए जाती बहार मेंगुम हो गए सभी जैसे सर्द रात के मेंठंडक बनी रही दिलों में जाती बहार मेंसोए हुए थे पेड़ सभी जगाने के बादजैसे कफस में सो गए कही जाती बहार मेंउम्मीद अपनी अपनी थी सर्दी के देश मेंकैसे कहे कौन रो कर ना उठे जाती बहार  मेंनादाँ है कुछ ना बोल

आवाज़

17 नवम्बर 2015
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आवाज़--------------------------------------------उन के दरों -दीवार की बातें करेंदिल से दिल मिलाने की बातें करें---------------------------------------------कल तलक रहे बिल्कुल बे- आवाज़आज उन के दीदार की बातें करें---------------------------------------------------ज़मी चुप है,आसमां बड़ा खामोशसख्त होते हाल

शहर होने लगे

6 नवम्बर 2015
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शहर होने लगे-----------------------------------------नीम की छाँव तले दिया तुलसी का जलेसूर्ये भी थककर रुके स्वर्णिम साँझ ढलेपाखी का गुंजन उत्सव सा लगने लगेह्दय का स्पंदन वीणा कि झंकार लगेस्वप्न सात रंगों के झिलमिल करने लगेमुधु- कि मुस्कान से जब फूल झरने लगेगाँव - मेरे शहर में आकर जब मिलने लगेदूर- दूर

बदल जाएगी

5 नवम्बर 2015
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कविताआज नहीं तो कल बदल दी जाएगीतस्वीर दुनियाँ कि बदल दी जाएगीहालत एक से होते नहीं हर एक केतूफानों बन बिजलियाँ ही टकराएगीमाना हालत के मारे हम सह रहे हैज़दोजहद से राह नई निकल ही आएगीजब कही स्याद थक कर चला जाएगाआकाश में चिड़ियाँ उड़ कर चली जाएगीआज आँखों से सावन बरसा कर जाएगीपीर कि टिस "अरु" दिल में उतर ही

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