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वैभव दुबे के बारे में

कवि परिचय-नाम-वैभव दुबेउपनाम-वैभव"विशेष"जन्मतिथि-20-01-1990निवासी-कानपुर , कार्यक्षेत्र-बी.एच.ई.एल.झाँसी,उत्तर प्रदेशरचनाएँ-कहानी व कविताएँ।झाँसी,बबीना में आयोजित अनेक काव्य संगोष्ठियों में हिस्सा।विशेष-आकाशवाणी झाँसी केंद्र पर प्रसारित रचनाएँ।भेल कम्पनी में आयोजित प्रतियोगिताओं-निबंध,कहानी व स्लोगन में प्रथम व द्वितीय पुरुस्कार दो वर्षों से प्राप्त हो रहा है।कविता की मुख्य विधा-कविता और ग़ज़ल,

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वैभव दुबे की पुस्तकें

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29 रचनाएँ

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वैभव दुबे के लेख

एक ध्वज हो गया

7 अगस्त 2019
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बिना रक्तपात वीर शिवा की तलवार काराणा जी के भाले का भी सम्मान हो गयारामबाण औषधि प्रयोग में ले आये जबअसाध्य रोग का संभव निदान हो गयाकई वर्षों पुराने एक विकट प्रसंग कादेश के दुलारे द्वारा समाधान हो गयाएक नागरिकता हुई एक ध्वज के तलेएक ही विधान एक संविधान हो गया

कोख का कष्ट

6 दिसम्बर 2016
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सुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँजो भैया की कलाई पर बंधे राखी सुहानी हूँमैं नन्हें दिल के सपनों से इसी आँगन में खेलूंगीनहीं मारो मुझे तुम कोख में दुनिया मैं देखूंगीतुम्हारे प्यार के लम्हों की मैं भी इक निशानी हूँसुनो मम्मी सुनो पापा तुम्हारी गुड़िया रानी हूँजो भैया की कलाई पर बंधे राखी सु

गजल

4 अक्टूबर 2016
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नववर्ष मंगलमय हो

25 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के सभी सदस्यों और पाठकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेमित्रों मेरी ये कविता और भी अन्य कविताएँदिनांक 31-12-2015 को शाम 9.30pmपर आकाशवाणी छतरपुर के 675 kHz से मेरी ही आवाज में प्रसारित होगी ...अवश्य सुनेंधन्यवाद..नूतन आस हो,दृढ विश्वास हो,खुशियों से हो सामना।नववर्ष  मंगलमय हो  आपका बस  यही

पहचान

18 दिसम्बर 2015
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चमकूँगा मैं सूरज बन करकभी चाँद सा दिख जाऊँगायाद करोगे जब भी मुझकोदिल की धड़कन बन जाऊंगापत्थर समझ न ठुकरानामैं पारस भी हो सकता हूँतुम दिल का व्यापार करोमैं जब चाहो मन जाऊंगाशब्द नही हैं वाक्य नहीं हैतेरी उपमा के काबिलरूप तुम्हारा कोरा कागजबन स्याही घन छाऊंगाबसे मेरे मन की आँखों मेंऔर ठिकाना क्या होगाप

गरीबी को डर बस भूख का है

17 दिसम्बर 2015
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बारिश भिगाती रही मगर गरीबी को डर बस भूख का हैगर्मी भी सताती रही मगर गरीबी को डर बस भूख का हैसर्दी कंपकंपाती रही मगर गरीबी को डर बस भूख का हैमौसम से अमीरी ही डरी, गरीबी को डर बस भूख का हैकोई सत्ता में आया,छाया गरीबी को डर बस भूख का हैकिसी ने सिंहासन गवांया गरीबी को डर बस भूख का हैव्यस्त सब सियासी खेल

मैं कृष्ण बना

14 अक्टूबर 2015
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आप सभी कविगण व लेखकों से क्षमा चाहूँगाअत्यधिक व्यस्तता के कारण आप लोगों केबीच नहीं आ सका..आज अपनी पहली हास्य कविता जो 3 वर्ष पहले लिखी थी ,के साथ उपस्तिथ हूँ....इक रोज मैंने सोचा मैं कान्हा बन के जाऊँदिल का तार छेड़े ऐसी धुन मैं छेड़ जाऊँदृढ़ निश्चय पे अडिग हो है मन में मैंने ठानीकि गोपियों के साथ मैं

जानूँ मैं

25 सितम्बर 2015
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हृदय छुपी इस प्रेम अग्नि में जलन है कितनी जानूँ मैं।मैं भटक रहा प्यासा इक सावन विरह वेदना जानूँ मैं।पर्वत,घाटी,अम्बर,नदिया जल सब नाम तुम्हारा लेते हैं।अम्बार लगा है खुशियों का फिर भी अश्रु क्यूँ बहते हैं?मिथ्या दोषी मुझे कहने से क्या प्रीत मिटेगी बरसों कीनयन कह रहे थे जो तुम्हारे वो बात अनकही जानूँ

रहे हनुमान धरा पर

22 सितम्बर 2015
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आज 22 सितम्बर को कानपुर में बुढ़वा मंगल बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जा रहा है।अन्जनीनंदन,सुख समृद्धि के दाता ,प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी के चरणों में समर्पित कुछ पंक्तियाँ..बैकुंठ गए सब देव, रहे हनुमान धरा पर।कलियुग में भी सत्कर्मों का मान धरा पर।भूत-प्रेत,बाधाएं मिटें, हो भक्ति

विश्व शांति दिवस

21 सितम्बर 2015
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विश्व में शांति कायम हो सोचो क्या-क्या जतन कियेशांति दिवस आया गगन में कुछ कबूतर उड़ा दिएउड़ाना है तो भेदभाव,द्वेष-दंभ,भ्रष्टाचार उड़ा डालोशांत सब कोलाहल होगा,हृदय प्रेममय बना डालोआज दिनांक 21 सितम्बर को पूरे विश्व में शांति व अहिंसा स्थापित करने के लिए विश्व शांति दिवस या अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के र

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