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डॉ. राकेश जोशी के बारे में

अंग्रेजी साहित्य में एम. ए., एम. फ़िल., डी. फ़िल. डॉ. राकेश जोशी मूलतः राजकीय महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेजी साहित्य के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. इससे पूर्व वे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम मंत्रालय, भारत सरकार में हिंदी अनुवादक के तौर पर मुंबई में पदस्थापित रहे. मुंबई में ही उन्होंने थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया. उनकी कविताएँ अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं. छात्र जीवन के दौरान ही उन्होंने साहित्यिक पत्रिका "लौ" का संपादन भी किया. उनकी एक काव्य-पुस्तिका "कुछ बातें कविताओं में" तथा एक ग़ज़ल संग्रह 'पत्थरों के शहर में' "यथार्थ प्रकाशन", नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है. साथ ही, उनकी हिंदी से अंग्रेजी में अनूदित एक पुस्तक “द क्राउड बेअर्स विटनेस” भी देहरादून से प्रकाशित हुई है.

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डॉ. राकेश जोशी की पुस्तकें

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डॉ. राकेश जोशी के लेख

डॉ. राकेश जोशी की हिंदी ग़ज़लें

4 मई 2015
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1 हमें हर ओर दिख जाएं, ये कचरा बीनते बच्चे भुलाए किस तरह जाएं, ये कचरा बीनते बच्चे यही है क्या वो आज़ादी कि जिसके ख़्वाब देखे थे ये कूड़ा ढूँढती माँएं, ये कचरा बीनते बच्चे तरक्की की कहानी तो सुनाई जा रही है पर न इसमें क्यों जगह पाएं, ये कचरा बीनते बच्चे ये बचपन ढूँढते अपना, इन्हीं कचरे

डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़लें

4 मई 2015
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1 आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो खेत से रूठे हुए सब मोतियों की बात हो जिनसे तय था ये अँधेरे दूर होंगे गाँव के अब अँधेरों से कहो उन सब दियों की बात हो इक नए युग में हमें तो लेके जाना था तुम्हें इस समुन्दर में कहीं तो कश्तियों की बात हो जो तुम्हारी याद लेकर आ गई थीं एक दिन धूप

डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़लें

30 अप्रैल 2015
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1 आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो खेत से रूठे हुए सब मोतियों की बात हो जिनसे तय था ये अँधेरे दूर होंगे गाँव के अब अँधेरों से कहो उन सब दियों की बात हो इक नए युग में हमें तो लेके जाना था तुम्हें इस समुन्दर में कहीं तो कश्तियों की बात हो जो तुम्हारी याद लेकर आ गई थीं एक दिन धूप

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