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धर्मेन्द्र कुमार के बारे में

लेखन एव पाठन में विशेष रूचि,लेखन एव पाठन में विशेष रूचि,लेखन एव पाठन में विशेष रूचि

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धर्मेन्द्र कुमार की पुस्तकें

dknivatiya

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14 पाठक
25 रचनाएँ

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धर्मेन्द्र कुमार के लेख

सोचा न था

23 सितम्बर 2019
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सोचा न था !एक रोज़ इस मोड़ से गुजरना पड़ेगा, जिंदगी को मौत से यूँ लड़ना पड़ेगा,चलते चलते लड़खड़ायेंगे पग राहो में गिरते गिरते खुद ही सम्भलना पड़ेगा !!!डी के निवातिया

तेरी नज़रो में

26 जून 2019
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विषय : लेखन विधा : ग़ज़ल /गीतिका शीर्षक : तेरी नज़रो में तिथि : २६/०६/२०१९ तेरी नज़रो में मेरी कीमत रही कुछ ख़ास नही,इसलिए मैं आता तुम्हे अब ज़रा भी रास नही ।संग में जिए होंगे कुछ पल कभी तो ख़ुशी के,पलट के देख जिंदगी इतनी भी तो उदास नही ।नफरत का नकाब उतार गौर से देख कभीक्या

आँगन

7 अप्रैल 2018
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फूलों और कलियों से आँगन सजाना भी है,कीचड और काँटों से दामन बचाना भी है,महकेगा चमन-ऐ- गुलिस्तां अपना तभी,हर मौसम की गर्दिश से इसे बचाना भी है !!डी के निवातिया

काहे भरमाये

20 फरवरी 2018
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काहे भरमाये***काहे भरमाये, बन्दे काहे भरमायेनवयुग का ये मेला हैबस कुछ पल का खेल ा हैआनी जानी दुनिया केरंग मंच पे नहीं तू अकेला हैमन मर्जी से सब चलते जब,फिर तू ही, काहे घबराये, बन्दे काहे भरमाये !!कहने को सब साथ साथ हैनहीं किसी के कोई ह

दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी अंग्रेजी)

23 सितम्बर 2017
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दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी अंग्रेजी) !दरवाजे पर ..दस्तक होती है ….डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..हू इस आउट साइड ऑन द डोर …..(अंदर से आवाज आई)जी …..जी मै….मै हूँ हिंदी …….!आपसे मिलने आई हूँ !ओह….. वेल … !यू आर ……कम इन …!प्रणाम ….अंग्रेजी बहन ………!(हिंदी बोली)वेलकम म

मै हिंदी

20 सितम्बर 2017
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नमस्कार........मै हिंदी हूँमेरा दिवस के रूप में उत्सव मनाकर सम्मान देने के लिये आपकी आभारी हूँ वैसे मुझे किसी दिवस की आवश्यकता नहीयदि वास्तविक रूप मेंमुझे सम्मान देना चाहते होतो मुझेह्रदय से अपनाकरअपनी वाणी मेंसमाहित करसदैव के लिएअपने कंठ और जिह्वाको समर्पित कर दोमै सदैव आपकीभाषा बनकरआपके कार्

काव्य रो रहा है

1 अगस्त 2017
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काव्य रो रहा है***साहित्य में रस छंद अलंकारो का कलात्मक सौंदर्य अब खो रहा है।काव्य गोष्ठीयो में कविताओं की जगह जुमलो का पाठ हो रहा है ।हास्य के साथ व्यंग की परिभाषा अब इस कदर बदल गयी है ।हंस रहे है कवी स्रोता सभी नये सृजन के अभाव में काव्य रो रहा है ।।***डी के निवात

गाथा एक वीर की

29 जुलाई 2017
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रचना के पूर्ण रसास्वादन के लिए कृपया पूरा पढ़े …!गाथा एक वीर की******************बहुत सुनी होंगी कहानिया रांझा और हीर कीआओ तुम्हे, आज सुनाये, गाथा एक वीर कीमर मिटते है जो, मातृभूमि पर हॅसते – हँसतेअँखियो में आंसू भरकर सुनाये गाथा वीर की !!सीमा पर शहीद होने की खबर जब घर आई

कैसे मुकर जाओगे

24 मई 2017
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कैसे मुकर जाओगे+++ *** +++यंहा के तो तुम बादशाह हो बड़े शान से गुजर जाओगे ।ये तो बताओ खुदा कि अदालत में कैसे मुकर जाओगे !! चार दिन की जिंदगानी है मन माफिक गुजार लो प्यारे।आयेगा वक्त ऐसा भी खुद की ही न

वो हमारे सर काटते रहे

3 मई 2017
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वो हमारे सर काटते रहेहम उन्हें बस डांटते रहे !!वो पत्थरो से मारते रहेहम उन्हें रेवड़ी बाटते रहे !!लालो की जान जाती रहीहम खुद को ही ठाटते रहे !!माँ बहने बिलखती रहीनेता जी गांठे साँठते रहे !!जान हमारी निकलती रहीहम धैर्य को अपने डाटते रहे !! राजनीति का खेल

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