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ज़ुबैर इदरीसी के बारे में

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ज़ुबैर इदरीसी की पुस्तकें

Zubair

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ज़ुबैर इदरीसी के लेख

एक काफिला ..

31 जनवरी 2015
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एक हसीन सपना ,!!"आधुनिक प्रेमियों की कथा"

30 जनवरी 2015
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एक रात मुझे सोते-सोते एक बड़ा हसीन सपना आया ! किसी ने आधी रात को मेरे घर का दरवाजा खटखटाया ! मैंने सोचा यार इतनी रात को कौन कमबख्त चला आया ! दरवाजा खोला तो अपने सामने फटे पजामे में एक व्यक्ति को खड़ा पाया ! उसे देखकर हमें बड़ा गुस्सा आया, हमने अपनी सूजी आँखों को खुजलाया ! मगर लाख कोशिशों के बाद

ज़िन्दगी की हवस .

29 जनवरी 2015
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यही आशिक़ी का फ़साना रहा है दीवाना हमेशा ही दीवाना रहा है मुहब्बत निभाने को क्या ना किये हैं फिर भी दुश्मन ये ज़माना रहा है ना शिक़वा उन्हें ना हमें गिला था मिटने मिटाने का बहाना रहा है मझधार क्या है साहिल पे अपनी क़िश्ती का सिर्फ़ डगमगाना रहा है हमें बागवाँ से शिक़ायत नहीं पर हालों पे गुलों का मुस्कराना र

Bade ho kar kya banna he. ?

28 जनवरी 2015
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Laut ata hu bapas ghar ki taraf, Har roz Thaka hara, Aaj tak Samjh nahi aaya ,jine ke liye kaam karta hu, Ya kaam karne ke liye jita hu, Bachpan me sabse Adhik baar pucha gaya sawal,- ''Bade ho kar kya banna he???'' Jabab Ab mila he ''Baccha banna he''

माँ को रोने ना देना,

25 जनवरी 2015
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तब टूटती थी प्लेट, बचपन में तुमसे अब माँ से टूट जाये, तो कुछ भी ना कहना,,, तब मांगते थे गुब्बारा,बचपन में माँ से अब माँ चश्मा मांगे,तो ना मत कहना,,,, तब मांगते थे चॉकलेट,बचपन में माँ से अब माँ मांगे दवाई,तो ना मत कहना,,,, तब डाटती थी माँ,शरारत होती थी तुमसे अब वो सुन ना सके,तो बुरा उसे ना कहना,,,

एक सवाल

25 जनवरी 2015
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बचपन में सबसे अधिक पूछा गया एक सवाल । बड़े होकर क्या बनना है....? अब जाकर जवाब मिला । फिर से बच्चा बनना है ....!!

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