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संजीव धीमान के बारे में

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संजीव धीमान की पुस्तकें

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संजीव धीमान के लेख

अच्छी बातें

28 जनवरी 2015
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आंखों मे आंसू आप के कर्मो से मिलते हैं... प्रभु से शिकायत करना अपनी मूर्खता है..! ☆☆☆ पाप करते वक्त पीठ थपथपाने वाले बहुत मिलेंगे..,पर उसके परिणाम अकेले को ही भुगतने पडेंगे...! ☆☆☆ बोलने से पहले लफ्ज इंसान के गुलाम होते है... लेकिन बोलने के बाद इंसान लफ्ज का गुलाम बन जाता है....! ☆☆☆ पके हुए फल की

किस रावण की काटूं बाहें

27 जनवरी 2015
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किस रावण की काटूं बाहें, किस लंका को आग लगाऊँ..! घर घर रावण पग पग लंका, इतने राम कहाँ से लाऊँ..,!!! नफरतों का असर देखो, जानवरों का बटंवारा हो गया, गाय हिन्दू हो गयी; और बकरा मुसलमान हो गया. मंदिरो मे हिंदू देखे, मस्जिदो में मुसलमान, शाम को जब मयखाने गया; तब जाकर दिखे इन्सान. ये पेड़ ये पत्ते ये

मुल्क से मोहब्बत

27 जनवरी 2015
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बहक जाने दो मुझे मेरे मुल्क की मोहब्बत में, ये वो नशा है जो मेरे सर से कभी उतरता नहीं ...!! जय हिन्द आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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