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नीरज चंदेल के बारे में

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नीरज चंदेल की पुस्तकें

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नीरज चंदेल के लेख

अलमारी

31 दिसम्बर 2021
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<div>दिल की अलमारी को खोल कर देखा तो घबराया था,</div><div>एक के बाद एक हादसे निकले, देखा तो चकराया थ

युद्ध

5 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">कुछ भीतर व कुछ बाहर युद्ध करना पड़ता है, </span></div><div>

तन्हा

13 दिसम्बर 2020
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<p>दूनिया में आए हैं तन्हा जाएंगे भी तन्हा,</p> <p>तो कया सांस भी लेता है हर कोई तन्हा.</p> <p>मन तन

गलत

1 अक्टूबर 2020
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कुछ ऐसा रह गया है क्या जो कहा न हो तेरे बारे में, अंहकार तो नहीं हो गया है कहीं, न हो ये तेरे बारे में.तेरी हर बात तो कह ही चुके है हम इशारों इशारों में,खुल कर न हो जब तक बात, क्या कहना तेरे बारे में.मेरा क्या पर दूनिया में तेरी चाहत ज़िंदा रहनी चाहिए,अपना रोम रोम है वहाँ, जहाँ हो रही चर्चा तेरे बार

खामोशी

2 अगस्त 2020
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सुबह खामोशी से मिला, बलवान पर ये मासूम होती है, समझ में आती जब भी इसकी आवाज़ मालूम होती है. अदभुत शांति एहसास में, पर लगन जरूरी आभास में, हम उलझ जाएं जब सिर्फ ये है जो सुलझी हुई होती है. रहती बिल्कुल ही स्पष्ट, हर बार कहलाती है ये निष्पक्ष, किसी से लेना देना नही है, ह

नश्वर

18 जून 2020
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जिसने भी तेरा ख्याल किया वो तुझ में खो गया, मदहोशी सी छाए, खुद को भूलकर तेरा हो गया. अपनी धुन में रम जाये, कब दिन कब रात जाये, काल भी हैरान परेशान, जीवन में सवेरा हो गया. न कल की फिक्र व न ही बीते कल का हो जिक्र, जब भी नश्वर शरीर में परमात्

विचलित

1 जून 2020
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हालात कैसे भी हों हमें विचलित नहीं होना है, दरिद्रता छा जाए भले ही विवेक नहीं खोना है. अपने मन को सही दिशा की ओर ले जाना है, गलत हो जाए गलती से फिर भी नहीं रोना है. भूलें तो होती रहती है,चिडिया चुगती रहती है, पश्चाताप की लौ जलानी है, पाप नह

जीवन अ से ज्ञ तक

28 मई 2020
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हिंदी वर्णमाला का वैज्ञानिक महत्व समझने समझाने के लिए कईं महापुरुष अपना योगदान देकर हमारा कार्य सरल कर गये हैं. यहाँ इस लेख के माध्यम से अ अनपढ़ से ज्ञ ज्ञानी बनने की यात्रा को अपनी कलम से लिखने का छोटा सा प्रयास किया है. हिंदी वर्णमाला अथ

साहस

25 अप्रैल 2020
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सहसा योगा करते करते एक दिन एक गेहूँ का दाना एक नर चींटी के सामने रख दिया और उसको देखने लगा. अब नर चींटी पढ़ कर और आगे जो कुछ आप अध्ययन करोगे तो आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि मैं कोई बहुत बड़ा चींटी विशेषज्ञ हूँ लेकिन ये मैं पहले ही बता देना चाहता हूँ कि सब कुछ जो मैंने महसूस किया ये सब उन सब के

कोई रोको ना

7 अप्रैल 2020
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बैठे बैठे एक गाना याद आ रहा है को ई रो को ना दीवाने को दिल मचल रहा कुछ गाने को हमें रोकना है इस बदलते हुए जमाने को, कुछ भी कर रहा अपनी धाक जमाने को. वायरस बना रहे हैं ये लोगों को डराने को, राम सा सीना नहीं है लंका को ढहाने को. पीछे से वार कर रहे हैं हम को दबाने को, डट

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