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अन्याय के विरूद्ध आवाज बुलन्द करना सच्ची देशभक्ति हैमहिलाएं सदैव सम्मान की अधिकारिणी हैं।

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एबीसिंह के लेख

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
1
0

शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"बोलो कविता आज बोलो"

6 दिसम्बर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनों सभी कवियों को कविता की तलाश शिद्दत के साथ रहती है।कविता जी से लेखक की भी मुलाक़ात हो गयी है,मुलाक़ात के बाद बात चीत का सिलसिला चलना स्वाभाविक है और वह चल भी रहा है चूंकि यह एक वृहद् रचना के रूप में आपके समक्छ प्रस्तुत हो रही है जो अंशों में ही प्रस्तुत की जा सकती है

"गरीबी तो इनके साथ है"

25 अक्टूबर 2015
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शब्दनगरी के श्रेष्ठ भाइयो/बहनोभारत में गरीबी घट रही है या आंकड़े ही प्रस्तुत किये जाते रहे हैं यह चर्चा का विषय बना हुवा है किन्तु जो दिखाई पड़ता है उसे झुठलाया नहीं जा सकता।प्रस्तुत कविता इसी विषय को छूती हुई:-1.रास्ते तय करना इंसान की,फितरत भी है,मज़बूरी भी ।मंज़िलों के हासिले की,यह प्रक्रिया अपनान

"विजय रथ"

22 अक्टूबर 2015
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श्रेष्ठ भाइयो/बहनो*****आज विजय का पर्व दशहरा है।विजय की गाथा जारी है ,प्रस्तुत हैंचंद पंक्तियाँ आप की तवज्जो के लिए :- 1.रणभेरी बज रही,विजयरथ घूम रहा है ।आसमान भी आल्हादित हो,दूर धरा को चूम रहा है ।।********विजय रथ गूम रहा है ।2.रथ पर सवार 'भारतमाता ',रक्षक इसके दिगपाल सभी । सारथी हैं सब भारतवासी,ना

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