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नवल विजलवान के बारे में

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नवल विजलवान की पुस्तकें

नवल विजलवान के लेख

मजबूरी

1 अक्टूबर 2015
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न चाहते हुए भी वो काम करवाती है ॥जो दिल को नही भाता॥न दिमाग को भाता ॥फिर भी मैं उसी डगर जाता हूँ ॥आखिर क्यूं? मोह मोहे जीने न दे॥किसका मोह ओर कैसा मोह॥यह दुनियादारी एक ऐसी मदारी॥बंदर की तरह जो मुझे नचा रही ॥रंगमंच ऐसा ,अभिनय करवा मुझसे, खाख में मिला रही॥

रसहीन जीवन व्यर्थ है

25 सितम्बर 2015
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रस का महत्व सर्वोपरि है॥निरस व्यक्ति के जीवन में कभी कोई उम्मीद नहीं होती॥जीवन में रस लाना बहुत जरूरी है॥रस से जीवन में उम्मीद जागती है॥उम्मीद से जीने का होंसला॥हौंसले से कामयाबी॥कामयाबी से जीवन सुखमय होता है॥कामयाबी से संतुष्ट रहो॥असंतुष्टी लालच पैदा करती है॥लालच नाश को न्योता देता है॥नाश से जीवन म

रसहीन जीवन व्यर्थ है

25 सितम्बर 2015
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रस का महत्व सर्वोपरि है॥निरस व्यक्ति के जीवन में कभी कोई उम्मीद नहीं होती॥जीवन में रस लाना बहुत जरूरी है॥रस से जीवन में उम्मीद जागती है॥उम्मीद से जीने का होंसला॥हौंसले से कामयाबी॥कामयाबी से जीवन सुखमय होता है॥कामयाबी से संतुष्ट रहो॥असंतुष्टी लालच पैदा करती है॥लालच नाश को न्योता देता है॥नाश से जीवन म

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