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राजेन्द्र मल्ल के बारे में

मित्रों , मेरी रूचि उपन्यास कविता आदि लिखने में है..... इस मंच के माध्यम से मैं अपनी लेखनी को एक नया आयाम दूंगा .,मित्रों , मेरी रूचि उपन्यास कविता आदि लिखने में है..... इस मंच के माध्यम से मैं अपनी लेखनी को एक नया आयाम दूंगा .

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राजेन्द्र मल्ल की पुस्तकें

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राजेन्द्र मल्ल के लेख

अंधा क़ानून

12 सितम्बर 2016
3
0

जेल के भीतर ..... कहीं दुबका, सुशासन रो रहा है..... बाहर एक मवाली गुंडा , मदमस्त हो रहा है...... शर्मसार है मानवता, अँधा कानून सो रहा है..... अट्टहास करता आज एक शैतान, भगवान हो रहा है...... आक्थू ! ऐसी व्यवस्था पर , कि समाज श्मशान हो र

अधूरा तन

5 अक्टूबर 2015
3
3

पल-प्रतिपल प्रताड़ित किया जा रहा था एक मासूम जीवन, वह अधूरा था तन का पर मन का था पूर्ण, दण्डित होकर भी उस निश्छल का मन शांत था क्योंकि वह था भूख का ग़ुलाम, वह कर्ज़दार था उनका जिनके पास उसका अस्तित्व गिरवी पड़ा था, "कल" तक के लिए जो कभी नहीं आता "कल" !--- राजेन्द्र मल्ल ---

अल्हड़ बचपन

30 सितम्बर 2015
2
1

चंचरीक सा आह्लादित मन सारंग प्रसून सा तन दृग में दामिनी सी दीधिति किसी स्पृहा को संजोया मन कैसी है सुरम्य काया मुकुलित सी यह अल्हड़ बचपन !---- राजेन्द्र मल्ल ----

काया

29 सितम्बर 2015
6
7

हड्डियों के ढाँचे पर एक झिल्ली लिपटी हुई है उस जर्जर काया पर कपड़े की एक परत चिपटी हुई हैबेबस नेत्र कनीनिका ने मिचमिचाकर देखा उधर किलकारी करता बचपन बेख़बर था जिधर वह मरियल आगे बढ़ा जहाँ कुछ दूरी पर अंगड़ाई ले रहा था यौवन फिर उस साँचे ने स्वयं को निहारा क्या यही है जीवन !

रश्मि बिखेरो

25 सितम्बर 2015
7
4

रश्मि बिखेरो, सारे जहां में सूरज बनकर तुम,आलोकित करो,इतना अवनि को,अंधकार हो जाए गुम.

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