विकाश सम्राट
2 किताबे ( 2 हिंदी )
1 लेख ( 1 हिंदी )
में अपने खाली समय मे जब कभी मन मे उठती हुई भावनाओ को शब्दों का शांचा देना प्रारभम करता हु अपनी अंतरआतमा को कुछ संतुलित महसूस करता हू| लिखना मेरी एक इच्छा नहीं वरन स्वयं की आत्मा को एक शांति देना का जरिया समज़ता हू| इस कारण या मेरी आतम इच्छा न होने के कारण मेने कभी भी रचना का पठन नहीं किया हे| परन्तु अब ऐसा प्रतीत्त होता की अगर में किसी माधयम से जनजाति मे चेतना की लहर ल सकता हु तो ये मेरे लिए बहुत ही गौरव की घडी होगी|
vikasgupta
विचारो की एक श्रंखला जो मन को दो चीज़ो का प्रधान करती हे: संतुलन और असंतुलन, जो की मानसिकता की आकस्मिक परिस्थिती को दर्शाती हे|
vikasgupta
विचारो की एक श्रंखला जो मन को दो चीज़ो का प्रधान करती हे: संतुलन और असंतुलन, जो की मानसिकता की आकस्मिक परिस्थिती को दर्शाती हे|