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अशोक सूर्यवेदी के बारे में

मैं झाँसी वाला बेटा हूँ , मैं शिलालेख का पत्थर हूँ ...!!

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अशोक सूर्यवेदी की पुस्तकें

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अशोक सूर्यवेदी के लेख

लोहड़ी और खंगार

13 जनवरी 2018
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लोहड़ी के गीतों में आज भी संजोये है पंजाब अपने यौद्धेय खंगार पूर्वजों को गीत देखिये :-राज्जड़ेओ-राज्जड़ेओ राजदोआरैं आईयाँ भाईया, राजदोआरैं आईयां,दिन्नेओ बट्टी चौळूआँ-चौळूआँ,चौळाँ माए रेड़दिए रेड़दिएसिरैं खड़े खंगार भाईयासिरैं खडे खंगार,हत्था पैरां ठंडणी-ठंडणीबत्त कियां हंडणी-हंडणीसिरे खड़े खंगार भा

शिक्षामित्र

20 दिसम्बर 2017
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पड़ौस के गाँव में रमजान अपनी बीबी परवीन  के साथ रहता था जब गाँव में रोजगार का कोई आसरा न रहा और घर में सास बहू की खटपट बढ़ी तो हस्तकला  में माहिर रमजान  गाँव छोड़कर कस्बे में आ बसा ! शादी के समय रमजान  की बीबी खास पढ़ी लिखी तो न थी पर रमजान  ने उसको शादी के बाद पढ़ने लिखने को प्रेरित किया और परवीन ने घसी

गढ़ कुंडार : एक ऐतिहासिक महत्त्व का दुर्ग ही नही बल्कि राष्ट्र धर्म और जुझारू संस्कृति का जनक

27 जनवरी 2015
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जुझारू संस्कृति का जनक गढ़ कुण्डार अशोक सूर्यवेदी नक्षत्रों में सूर्य सी आभा लिए जुझौती (आधुनिक बुंदेलखंड ) का प्राचीनतम और पवित्रतम दुर्ग, गढ़ कुंडार एक ऐतिहासिक महत्त्व का दुर्ग ही नही बल्कि राष्ट्र धर्म और जुझारू संस्कृति का जनक भी है!अपने एक सह्त्राब्दी के जीवन काल में इस गढ़ ने अनेकानेक राजनैति

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