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महावीर रावत की पुस्तकें

महावीर रावत के लेख

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2 दिसम्बर 2015
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वर्तमान

16 अक्टूबर 2015
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0

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युग कर्म

15 अक्टूबर 2015
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15 अक्टूबर 2015
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मन कहता है.

14 अक्टूबर 2015
4
0

पहली बार हिंदी की साइट  का पता मिला,मेरा मन भी मचल गया,अन्दर तो आ गया ,पर अब समझ नहीं आ रहा क्या  लिखू,क्या  नेट की लिखी भगवान भी  देखता होगा  ,चलो में  मान  लेता हूँ,भगवान भी देखते होंगे ,आप  सब में भगवान है,जब हम सब  में  भगवान है तो  फिर हमरा मन क्यों भटकता  है ,क्या ढूंढ़ता  फिरता हूँ  पता  नहीं,

मेरा गांव

14 अक्टूबर 2015
3
1

गांव अब पहले जैसे नहीं रहे ,जब में छोटा था तो चारो और हरियाली थी ,बस से उतरते ही शहर को में भूल जाता था ,बड़े बुजर्गो के पैर छूते छूते में गांव में घुसता दादी -दादा ,ताई -ताऊ ,चाचा -चाची ,सब के चेहरे पर मुस्कान होती थी ,गांव में बिजली नहीं थी ,पर लोगो के दिलो में रौशनी थी,फ़ोन नहीं होते थे ,पर ह

मन कहता है.

14 अक्टूबर 2015
3
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पहली बार हिंदी की साइट  का पता मिला,मेरा मन भी मचल गया,अन्दर तो आ गया ,पर अब समझ नहीं आ रहा क्या  लिखू,क्या  नेट की लिखी भगवान भी  देखता होगा  ,चलो में  मान  लेता हूँ,भगवान भी देखते होंगे ,आप  सब में भगवान है,जब हम सब  में  भगवान है तो  फिर हमरा मन क्यों भटकता  है ,क्या ढूंढ़ता  फिरता हूँ  पता  नहीं,

मेरा गांव

13 अक्टूबर 2015
7
2

गांव अब पहले जैसे नहीं रहे ,जब में छोटा था तो चारो और हरियाली थी ,बस से उतरते ही शहर को में भूल जाता था ,बड़े बुजर्गो के पैर छूते छूते में गांव में घुसता दादी -दादा ,ताई -ताऊ ,चाचा -चाची ,सब के चेहरे पर मुस्कान होती थी ,गांव में बिजली नहीं थी ,पर लोगो के दिलो में रौशनी थी,फ़ोन नहीं होते थे ,पर ह

मन कहता है.

13 अक्टूबर 2015
7
2

पहली बार हिंदी की साइट  का पता मिला,मेरा मन भी मचल गया,अन्दर तो आ गया ,पर अब समझ नहीं आ रहा क्या  लिखू,क्या  नेट की लिखी भगवान भी  देखता होगा  ,चलो में  मान  लेता हूँ,भगवान भी देखते होंगे ,आप  सब में भगवान है,जब हम सब  में  भगवान है तो  फिर हमरा मन क्यों भटकता  है ,क्या ढूंढ़ता  फिरता हूँ  पता  नहीं,

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