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आलोक शुक्ल के बारे में

मैं आलोक शुक्ल , सनातन वैदिक समाज , साहित्य , विज्ञानं को वर्तमान जीवनशैली , मानसिक विचारो ,आधुनिक विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी के परिप्रेक्ष्य में स्थापित करने में कार्यरत हूँ एवं वैदिक सनातन इतिहास के माध्यम से वर्तमान अनुसन्धान एवं युवा जागरूकता के कार्य में संलग्न हूँ.

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आलोक शुक्ल की पुस्तकें

आलोक शुक्ल के लेख

तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ

28 मार्च 2017
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तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ कोई ऐसा पल नहीं जब रोया नहीं हूँ क्यू धधकती हो आग सी इस डूबे सैलाब में लौ सी जलती रहती हो इस बुझदिल इंसान में क्यू बिताये थे संग जिंदगी के अनगिनत हिस्से आज भी भौरे की तरह गूंजते है वो किस्से कोई ऐसी रात नहीं जब उन किस्सो में खोया

आरक्षण की अर्थी चढ़ गयी मेहनत .....

28 मई 2016
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आरक्षण  की  अर्थी चढ़ गयी मेहनत , सपने जलकर राख हो गए ,विरहन हो गयी लगन तपस्या , बुद्धि विवेक सब बाँझ हो गए .......

इतिहास बदल डालो पर भूगोल बदलने की मत सोचो

10 मार्च 2016
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इतिहास बदल डालो पर भूगोल बदलने की मत सोचो कथित समाजवाद के नाम पे भारत माता को मत तोड़ो  कुछ तो कदर करो भारत की जिस माटी ने तुमको जनम दिया जिसके वीरो ने तुम्हारी रक्षा की खातिर खुद को  हवन किया जैसलमेर की गर्मी , सियाचिन की ठण्ड इतनी आसान नहीं होती एक एक पग जमीन की खातिर वीरो ने अपना शमन किया अखंड राष

बड़ी मेहनत से घर बनाते हैं तुम आशियाँ छीन लेते हो

14 नवम्बर 2015
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क्या गुनाह किया है हमने जो हमारी खुशियाँ छीन लेते हो बड़ी मेहनत से घर बनाते हैं तुम आशियाँ छीन लेते होकभी एक किसान का बेटा, बचपन से खेतो की मेड़ो पे मरता है सरकारी नौकरी का सपना लेकर पल पल दीपक की लौ सा जलता है जिसके घर न कभी रौशनी आई ,न भर पेट मिला खाना फिर भी अपने सपनो की दुनिया पाने को हर पल आहें भ

बड़ी मेहनत से घर बनाते हैं तुम आशियाँ छीन लेते हो

12 अक्टूबर 2015
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क्या गुनाह किया है हमने जो हमारी खुशियाँ छीन लेते हो बड़ी मेहनत से घर बनाते हैं तुम आशियाँ छीन लेते होकभी एक किसान का बेटा, बचपन से खेतो की मेड़ो पे मरता है सरकारी नौकरी का सपना लेकर पल पल दीपक की लौ सा जलता है जिसके घर न कभी रौशनी आई ,न भर पेट मिला खाना फिर भी अपने सपनो की दुनिया पाने को हर पल आहें भ

क्या भूलू क्या याद करूँ , क्या खोया क्या पाया

9 अक्टूबर 2015
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क्या भूलू क्या याद करूँ, क्या खोया क्या पाया किसका सम्मान किसे बदनामकरूँ , जब अपनों ने ही ठुकराया  थोड़ी कोशिस की थी मछुआरेने जब लहरों से टकराया था पतवार चलाकर हिम्मत कीलहरों का रुख  मुड़ आया था आज समुन्दर की बेरहमी मेंन मछुआरा है न पतवार इंतज़ार नहीं अब तिनके का, न अपने साहस का एतबारन है किनारा न है ठ

वैदिक समय चक्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य

19 सितम्बर 2015
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Vedic Timeseconds 1 Year=31536000s Years Vedic Time Scale1E+22 31536000 3.17098E+14 Cycle of Brahma1E+18 31536000 31709791984 1E+17 31536000 3170979198 3.17by 1day of Brahma=4.32by1.00E+15 31536000 31709791.98 1E+14 31536000 3170979.198 3.17my 1mahayuga=4.32my100000000 31536000 3.17097

वैदिक समय चक्र; वर्तमान परिप्रेक्ष्य

10 सितम्बर 2015
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Vedic Timeseconds 1 Year=31536000s Years Vedic Time Scale1E+22 31536000 3.17098E+14 Cycle of Brahma1E+18 31536000 31709791984 1E+17 31536000 3170979198 3.17by 1day of Brahma=4.32by1.00E+15 31536000 31709791.98 1E+14 31536000 3170979.198 3.17my 1mahayuga=4.32my100000000 31536000 3.17097

हिंदुत्व एवं आधुनिक विज्ञानं : पृथ्वी की आयु

8 सितम्बर 2015
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Hinduism and Science:Age of Earth=4.32by (Hinduism) Age of Earth (Modern Science)=4.5by (approx.) 1 year of demigod=360 years of humen Age Avg Age of Man Demigod Years 1 demigod year=360 years Years Satyuga 4800 360 1728000 4.32by 100000 Precambrian, Cambrian, Pale

प्रेम करना धोखा है और आशिक़ी दिलासा .....

25 जुलाई 2015
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ऐसो प्रेम का रंग लगायो तूने , बस तेरी याद सताई देहुँ सौ सौ गारियां तने , जाने प्रीत की रीत बनाई ऐसा रोग लगाया जाकी दवा नहीं आती है

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